
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के गठबंधन को बहुमत तो मिल गया, लेकिन अभी तक राज्य में सरकार नहीं बन पाई है. दोनों पार्टियों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान चल रही थी और अंत में शुक्रवार को फडणवीस ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
महाराष्ट्र विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है और इससे एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पद से इस्तीफा दे दिया है. हालांकि अभी भी राज्य में सरकार बनाने को लेकर विकल्प खुले हुए हैं. देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे दोनों ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सरकार बनाने की बात एक बात फिर दोहराई. ऐसे में यह बात तो स्पष्ट है कि सरकार गठन तो होगा भले इसमें देर लगे.
बीजेपी और शिवसेना की महायुति सरकार बनाने में नाकाम रही . दोनों ही पार्टियां अपने-अपने स्टैंड पर अभी भी कायम हैं. चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो जनता का फैसला महायुति की सरकार का ही था ऐसे में राज्य में सरकार गठन के कुछ ही विकल्प और बचते हैं.
बीजेपी-शिवसेना में बन जाए बात
सरकार गठन का सबसे पहला विकल्प अभी भी बीजेपी और शिवसेना के साथ का ही है . क्योंकि यह सरकार ही एक मजबूत सरकार होगी. लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि दोनों ही दल अपने स्टैंड पर आज भी कायम हैं.
शिवसेना-एनसीपी की सरकार
दूसरा विकल्प है कि शिवसेना एनसीपी के साथ मिलकर कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाए . हालांकि दूसरे विकल्प में दिक्कत यह है कि शिवसेना दोनों ही पार्टियों की धुर-विरोधी रही है. हालांकि जिस तरह आज शरद पवार और पृथ्वीराज चव्हाण की मुलाकात हुई. उसके बाद कहा जा सकता है कि कांग्रेस सरकार बनाने के मूड में है लेकिन वह बिना शिवसेना के संभव नहीं है.
राष्ट्रपति शासन का भी है विकल्प
अगर सरकार के गठन को लेकर कुछ प्रगति नहीं होती है तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकते हैं. ऐसा होने पर 9 नवंबर के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाएगा.
दोबारा चुनाव की संभावना से भी इनकार नहीं
अंतिम विकल्प यह भी है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन के बाद दोबारा चुनाव कराए जाएं. लेकिन इसकी संभावना कम ही है क्योंकि दोनों ही बड़े राजनीतिक दल बीजेपी और शिवसेना अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं.