
महाराष्ट्र में शनिवार को बेहद ही नाटकीय ढंग से देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. सबसे हैरान कर देने वाली बात यह रही कि अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की शपथ के बाद देश के बड़े राजनीतिक पंडित हैरान रह गए. वहीं शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं को पूरा सीन समझने में थोड़ी देर तो लगी, लेकिन जब वो सामने आए तो काफी अटैकिंग मोड में रहे.
शपथ के अगले ही दिन यानी रविवार को ही तीनों पार्टियों ने याचिका दायर की और सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने बुधवार को फडणवीस को बहुमत साबित करने को कहा. बीजेपी नेता भले ही 145 विधायकों का साथ होने का दावा करते रहे लेकिन इन्हीं दावों के बीच मंगलवार दोपहर 2.35 बजे अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. अजित पवार के इस्तीफे के साथ ये भी साफ हो गया कि फडणवीस सरकार अब देर ज्यादा देर नहीं टिकने वाली और कुछ देर बाद ही देवेंद्र फडणवीस ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. इस पूरे घटनाक्रम को देखें तो इसमें ज्यादा नुकसान अजित पवार को हुआ.
दरअसल, अजित पवार के पास अब ना तो डिप्टी सीएम का पद रहा और ना ही शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की बनने वाली सरकार में उनको यह पद मिलने की उम्मीद है.
चाचा शरद पवार के खिलाफ की बगावत
अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की इच्छा के विरुद्ध जाकर देवेंद्र फडणवीस से हाथ मिला लिया था. शुक्रवार देर शाम तक शिवसेना और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के लिए बैठक करने वाले अजित पवार ने शनिवार सुबह देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. हालांकि उन्होंने एनसीपी के जिन विधायकों पर भरोसा करके शरद पवार से बगावत की थी, वो भी उनका साथ नहीं दिए.
एनसीपी के बागी विधायक पार्टी प्रमुख की एक आवाज पर दोबारा से उनके पास लौट आए. इसके बाद अजित पवार अकेले पड़ गए. इस बीच एनसीपी नेताओं की ओर से भी उन्हें मनाने की कोशिशें जारी रही और कोशिश उस वक्त रंग लाई जब उन्होंने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दिया और दोबारा शरद पवार के पास लौटना पड़ा.
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने की ओर अग्रसर हैं. पहले जहां कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम पद मिलने की उम्मीद थी, अब वो भी खत्म होती नजर आ रही है. शुक्रवार शाम तक चर्चा थी कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार में अजित पवार डिप्टी सीएम बनेंगे, लेकिन बगावत के चलते उन्हें इन तीनों दलों की साझा सरकार में शायद ही कोई पद मिले.
बड़े पवार पड़े भारी
इस पूरी लड़ाई से यह भी साफ हो गया कि अजित पवार को अपने चाचा शरद पवार से अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है. बीजेपी के साथ जाने के फैसले से अजित पवार का कद ना केवल परिवार में बल्कि पार्टी में भी कम हुआ है. शरद पवार से बगावत करने के बाद सुप्रिया सुले ने कहा कि परिवार ने हमेशा भाई अजित पवार का साथ दिया लेकिन उन्होंने बगावत कर दी.
राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार को ही अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में तैयार किया था. लेकिन पिछले कुछ समय से शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुले को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. परिवार में सामंजस्य के लिए शरद पवार ने अजित पवार को महाराष्ट्र और बेटी सुप्रिया सुले को दिल्ली की राजनीति करने का जिम्मा सौंप रखा था. लेकिन अब हो सकता है अजित पवार से महाराष्ट्र की जिम्मेदारी भी छिल ली जाए.
अजित पवार से शरद पवार इस हद तक नाराज हैं कि सोमवार को उन्होंने यहां तक कह दिया था कि वो उनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे और वो (अजित पवार ) किसी प्रकार का फैसला नहीं ले सकेंगे. शरद पवार ने अजित पवार के खिलाफ पहली कार्रवाई शनिवार को ही कर दी थी, जब उन्होंने अजित पवार से विधायक दल के नेता का पद छिन लिया था.