
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और वामपंथी छात्र संगठन आमने- सामने हैं. पिछले दिनों हिंसा की घटना भी हुई, लेकिन महाराष्ट्र के पुणे में तस्वीर दूसरी है. पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी में विचारधारा के स्तर पर धुर विरोधी दोनों ही खेमों ने साथ-साथ आंदोलन किया.
इन दोनों ही छात्र संगठनों समेत सभी अन्य संगठन एक मंच पर आकर यूनिवर्सिटी प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इनकी मांग 'अर्न एंड लर्न' प्रोग्राम के तहत प्रतिदिन दो घंटे काम और प्रति घंटे के हिसाब से दी जाने वाली 135 रुपये की धनराशि में भी इजाफा किया जाए. छात्रों का कहना है कि उन्हें अभी महीने में 15 से 20 दिन ही काम दिया जाता है. छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें 135 रुपये प्रति घंटे की दर से मुआवजा देने का भी वादा किया गया था, लेकिन पिछले तीन महीने से इस रकम का भुगतान नहीं किया गया है.
पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत छात्र बकाया रकम के तुरंत भुगतान की मांग कर रहे हैं. इनका कहना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ठंड के दिनों में स्वेटर देने, छात्राओं को कैब की सुविधा देने का भी वादा किया था. यह वादे भी अधूरे हैं. इन पर भी तत्काल अमल किया जाए. छात्र नीतियों के निर्माण के लिए बनाई जाने वाली विचार विनिमय समिति में भी एक छात्र को शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
शिक्षा मंत्री ने दिया लिखित आश्वासन
प्रदेश के शिक्षा मंत्री उदय सावंत शनिवार को विश्वविद्यालय पहुंचे. छात्र उनसे मिलने की मांग पर अड़ गए, जिस पर पुलिस ने कुछ छात्रों की पिटाई भी कर दी. हालांकि बाद में शिक्षा मंत्री सावंत ने छात्रों को कुछ मांगें तत्काल पूरी करने और अन्य मांगों पर चर्चा के बाद निर्णय लेने का लिखित आश्वासन दिया. उन्होंने छात्रों पर बल प्रयोग के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का भी आश्वासन दिया, तब जाकर छात्र शांत हुए.