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महाराष्ट्र: जीएन साईबाबा की पैरोल याचिका खारिज, मां के अंतिम संस्कार में होना चाहते थे शामिल

जीएन साईबाबा ने मां के अंतिम संस्कार के लिए पैरोल की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी.

DU के प्रोफेसर साईबाबा DU के प्रोफेसर साईबाबा
aajtak.in
  • नागपुर,
  • 18 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 5:29 PM IST

  • मां के अंतिम संस्कार के लिए मांगी थी पैरोल
  • कोर्ट से प्रोफेसर की याचिका कर दी है खारिज

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने प्रोफेसर जीएन साईबाबा की इमर्जेंसी पैरोल की याचिका खारिज कर दी है. जीएम साईबाबा ने अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने को लेकर पैरोल को लेकर याचिका दायर की थी.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक जीएन साईबाबा ने मां के अंतिम संस्कार के लिए पैरोल की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. इससे पहले भी उनकी जमानत और पैरोल की अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी. माओवादियों के साथ संबंध को लेकर उन्हें 2017 में गढ़चिरौली की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

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पढ़ें: कौन हैं प्रोफेसर साईबाबा, क्यों मिली उम्रकैद

बता दें कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की अदालत ने मार्च 2017 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अदालत ने प्रोफेसर साईबाबा के साथ जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा, पत्रकार प्रशांत राही और तीन अन्य लोगों को UAPA एक्ट के तहत दोषी माना था. जीएन साईबाबा डीयू के रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे. मगर गिरफ्तारी के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. 90 फीसदी दिव्यांग साईबाबा पूरी तरह से व्हीलचेयर के सहारे हैं.

DU प्रोफेसर साईबाबा को उम्रकैद, माओवादियों से लिंक रखने का आरोप साबित

साईबाबा और बाकी लोगों पर माओवादियों के साथ रिश्ते होने और भारत के खिलाफ जंग छेड़ने के आरोप साबित हुए हैं. प्रोफेसर साईबाबा को मई 2014 में उनके दिल्ली आवास से गिरफ्तार किया गया था. हेम मिश्रा और प्रशांत राही 2013 में पकड़े गए थे. इन सभी के पास से आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किये गये थे.

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