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यलगार परिषद केस से जुड़े वकीलों, कार्यकर्ताओं की भी व्हाट्सएप जासूसी हुई?

इंडिया टुडे से बात करते हुए एडवोकेट निहाल सिंह राठौर ने आरोप लगाया कि उनके मोबाइल में मौजूद व्हाट्सएप सॉफ्टवेयर की Pegasus के जरिये जासूसी की गई.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
पंकज खेळकर
  • मुंबई,
  • 31 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 7:11 PM IST

  • एडवोकेट निहाल सिंह राठौर ने लगाया बड़ा आरोप
  • व्हाट्सएप सॉफ्टवेयर की Pegasus के जरिये हुई जासूसी

यलगार परिषद केस से जुड़े एक वकील ने आरोप लगाया है कि इजराइली स्पाइवेयर की मदद से भारत सरकार की एजेंसियां उनकी जासूसी कर रही थीं. यह आरोप ऐसे समय लगा है जब यलगार परिषद मामले के नौ में से छह आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई अंतिम दौर में है. अब इन छह आरोपियों की जमानत पर कोर्ट फैसला सुनाने वाली है.

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क्या है आरोप?

इंडिया टुडे से बात करते हुए एडवोकेट निहाल सिंह राठौर ने आरोप लगाया कि उनके मोबाइल में मौजूद व्हाट्सएप सॉफ्टवेयर की Pegasus के जरिये जासूसी की गई. Pegasus एक विवादित जासूसी सॉफ्टवेयर है जिसे इजराइल की एक कंपनी 'एनएसओ ग्रुप' ने तैयार किया है. यह पूछने पर कि उन्हें इस बारे में कैसे पता चला, राठौर ने कहा उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के सिटीजन्स लैब के मिस्टर जॉन का फोन आया था.

उन्होंने कहा कि 16 दिन पहले मिस्टर जॉन का फोन आया था. यहां तक कि मिस्टर जॉन ने उन्हें एक वीडियो मैसेज भेजकर विस्तार से बताया कि कैसे जासूसी सॉफ्टवेयर की मदद से उनके मोबाइल सेट की जासूसी की जा रही है.

व्हाट्सएप पर आये अनजान वीडियो कॉल

निहाल सिंह का कहना है कि उन्हें 2017 से व्हाट्सएप पर अनजान वीडियो कॉल आनी शुरू हुई, लेकिन उन्होंने नजरअंदाज किया. 2018 के बाद निहाल सिंह ने इन वीडियो कॉल का रिकॉर्ड रखना शुरू किया. 2019 में इन अनजान वीडियो कॉल की संख्या बढ़ गई, लेकिन वे इस बात को लेकर भ् रमित थे कि यह कौन है जो उन्हें परेशान कर रहा है.

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निहाल सिंह का कहना है कि जब उन्हें मिस्टर जॉन का फोन आया कि आपके मोबाइल फोन में जासूसी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया गया है, तब उन्हें अनजान वीडियो कॉल का राज समझ में आया. उनका कहना है कि जब उन्हें पता चला कि उनके फोन की जासूसी हो रही है तो उन्होंने अपना मोबाइल फोन तुरंत बदल दिया.

क्या आप सरकार की ओर से जासूसी करने को लेकर कोई कानूनी कार्रवाई करेंगे, इस सवाल पर राठौर ने कहा, 'पहले तो मैं कोशिश कर रहा हूं जो भी वकील और कार्यकर्ता यलगार परिषद केस से जुड़े हैं वे एक मंच पर आएं. मैंने सोशल मीडिया पर अपील की है कि जिन्हें भी इस तरह का अनुभव हुआ हो, वे सभी एक साथ आएं.'

'मेरे फोन की हुई जासूसी'

इंडिया टुडे ने कबीर कला मंच की सदस्य और मानवाधिकार कार्यकर्ता रूपाली जाधव से संपर्क किया. (कबीर कला मंच पर नक्सली संपर्क रखने का आरोप है). रूपाली ने कहा कि 28 अक्टूबर को उन्हें भी मिस्टर जॉन की तरफ से फोन आया था. जॉन ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि Pegasus सॉफ्टवेयर की मदद से उनके भी फोन की जासूसी की जा रही है.

रूपाली को भी मिस्टर जॉन की तरफ से एक वीडियो मैसेज आया जिसमें समझाया गया था कि कैसे उनके फोन को निशाना बनाया गया. हालांकि, रूपाली ने इंडिया टुडे से कहा कि उन्हें नहीं याद है कि उनके व्हाट्सएप पर किसी अनजान नंबर से कोई वीडियो कॉल आया हो. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कबीर कला मंच के लोगों की छानबीन के दौरान अप्रैल 2018 में पुणे पुलिस ने उनका फोन जब्त कर लिया था.

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इंडिया टुडे ने यलगार परिषद केस के एक और आरोपी सुधीर धवले के वकील सिद्धार्थ पाटिल से संपर्क किया. आश्चर्यजनक रूप से सिद्धार्थ पाटिल ने कहा कि उन्हें किसी अनजान नंबर से कोई वीडियो कॉल नहीं आई, न ही उनको मिस्टर जॉन की तरफ से कोई फोन आया.

उन्होंने बताया कि यलगार परिषद मामले में छह आरोपियों- सुधीर धवले, महेश राउत, रोना विल्सन, वरवरा राव, गाडलिंग, शोमा सेन की जमानत पर अतिरिक्त जिला जज की अदालत में 6 नंवबर को अंतिम सुनवाई है और फैसला आना है. इंडिया टुडे ने यलगार परिषद मामले में जांच कर रहे अधिकारियों की भी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन उनमें से किसी से संपर्क नहीं सका.

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