
साल 2018 के पहले दिन हुई भीमा-कोरेगांव हिंसा एक बार फिर चर्चा में है. बीजेपी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर आरोप लगाया है कि उनकी पार्टी नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए माओवादियों की आर्थिक मदद कर रही है.
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने पार्टी मुख्यालय में पीसी कर आरोप लगाया कि कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता प्रतिबंधित संगठन से जुड़े हैं और देश में अफरातफरी का माहौल बनाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि इसमें जिग्नेश मेवाणी का नाम भी शामिल है जिन्हें कांग्रेस की ओर से माओवादियों की मदद के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है और ऐसा करने के पीछे उनकी कोशिश मोदी को रोकना है. उन्होंने आगे कहा कि हम मांग करते हैं कि इस संबंध में राहुल गांधी एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स करें और सारी बातें साफ करें.
पात्रा ने कहा कि एक ओर जहां बीजेपी 'संपर्क से समर्थन' के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस देश में अराजकता फैलाकर सत्ता हासिल करना चाहती है.
पत्र में बातें आपत्तिजनक
उन्होंने सबूत के तौर पर उस पत्र का जिक्र किया जो एक दिन पहले हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किए गए जैकब विल्सन के घर से मिला. 6 जून को हिंसा से संबंधित एक आरोपी रोना जैकब विल्सन को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. पार्टी के अनुसार, पुलिस को वहां से एक पत्र मिला जिसमें यह जानकारी हासिल होती है कि इस हिंसा के लिए पहले से योजना बनाई गई.
उन्होंने कहा कि पत्र में लिखी गई बातें आपत्तिजनक है और यह दिखाता है कि महाराष्ट्र में दलित के नाम पर किस तरह से हिंसा भड़काने की साजिश रची जा रही है. पुलिस पहले ही इस हिंसा के मामले में 5 माओवादियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
पुणे में 31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद का आयोजन किया गया था. इस परिषद के दूसरे दिन (1 जनवरी 2018) को भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़क उठी. जातीय हिंसा के लिए यलगार परिषद को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इसमें नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगा है और इस मामले में जिग्नेश मेवानी और उमर खालिद पर भी केस दर्ज किया गया.
महाराष्ट्र के पुणे में 200 साल पुराने युद्ध भीमा-कोरेगांव की बरसी को लेकर जातीय संघर्ष छिड़ गया था. बाद में इसकी आग पूरे महाराष्ट्र में फैल गई. कई शहरों में हिंसक घटनाएं भी हुई थीं. इस मामले में पुलिस ने संभाजी भिड़े और मिलिंद एकबोटे के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज भी किया, बाद में मिलिंद फरार हो गए थे.