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भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी संभाजी भिड़े को महाराष्ट्र सरकार की क्‍लीनचिट, कहा- नहीं मिले सबूत

सीएम देवेन्द्र फडणवीस सदन में राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब दे रहे थे. फडणवीस ने बताया कि एक महिला ने आरोप लगाया था कि उसने भीमा-कोरेगांव हिंसा के दौरान आसपास देखा था. इसी आरोप पर हमने जांच करवाई.फडणवीस ने आगे बताया कि जांच में संभाजी भिड़े की मौजूदगी को लेकर कोई सबूत सामने नहीं आए.

संभाजी भिड़े और देवेन्द्र फडणवीस संभाजी भिड़े और देवेन्द्र फडणवीस
अंकुर कुमार/कमलेश सुतार
  • मुंबई ,
  • 27 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 6:59 PM IST

भीमा-कोरेगांव हिंसा को भड़काने के मामले में संभाजी भिड़े को महाराष्ट्र सरकार की तरफ से लगभग क्लीनचिट मिल गई है. महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने खुद विधानसभा में जानकारी देते हुए कहा कि भीमा-कोरेगांव हिंसा में संभाजी भिड़े की प्रत्यक्ष भागीदारी को लेकर कोई सबूत जांच टीम को नहीं मिले हैं.

सीएम देवेन्द्र फडणवीस सदन में राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब दे रहे थे. फडणवीस ने बताया कि एक महिला ने आरोप लगाया था कि उसने भीमा-कोरेगांव हिंसा के दौरान आसपास देखा था. इसी आरोप पर हमने जांच करवाई.फडणवीस ने आगे बताया कि जांच में संभाजी भिड़े की मौजूदगी को लेकर कोई सबूत सामने नहीं आए. फडणवीस ने बताया कि इस सिलसिले में संभाजी भिड़े और उनके सहयोगियों के आठ दिन के कॉल रेकॉर्ड की भी जांच की गई. हालांकि उसमें कोई भी हिंसा वाली जगह के पास नहीं पाए गए.

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दलित लीडर प्रकाश अंबेडकर ने शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के चीफ संभाजी भिड़े के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. साथ ही अंबेडकर ने फडणवीस से मुलाकात की और उनको बताया कि वे  भिड़े के खिलाफ नए सबूत पेश करेंगे. सीएम फडणवीस ने बताया कि अंबेडकर ने भिड़े के कथित सपोर्टर के फेसबुक पोस्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया है. फडणवीस ने कहा कि हमने आश्वासन दिया है कि नए सबूतों की जांच की जाएगी.

वहीं सीएम फडणवीस ने इस मामले में एक और आरोपी मिलिंद एकबोटे की गिरफ्तारी को लेकर ज्यादा कोशिश नहीं करने के आरोप पर भी सफाई दी. फडणवीस के अनुसार यह कहना गलत है कि मिलिंद एकबोटे ने सरेंडर किया और उसकी गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसकी बेल रद्द करने के बाद हुई. हमने एकबोटे को अरेस्ट करने के लिए टीम बनाई थी. साथ ही हमने उसकी अग्रिम जमानत याचिका का भी विरोध किया. हमने उसकी पुलिस हिरासत की भी मांग की थी.

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भीमा कोरेगांव हिंसा को सरकार पर एक बड़ा दाग मानते हुए सीएम ने आश्वासन दिया कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा. वहीं एनसीपी ने महाराष्ट्र सीएम द्वारा भिड़े को दी गई क्लीनचिट का विरोध किया है. एनसीपी के अनुसार सरकार का यह फैसला लगभग पहले से अपेक्षित था. सरकार कई दिनों से भिड़े को बचा रही है. एनसीपी के अनुसार उन लोगों ने कभी यह आरोप नहीं लगाया कि भिड़े ने हिंसा के दौरान पत्थरबाजी की. एनसीपी विधायक जितेंद्र अवहद के अनुसार उन लोगों का आरोप था कि भिड़े इस हिंसा के पीछे मास्टरमाइंड है.

आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव में हुए जातीय संघर्ष के बाद आरोपी संभाजी भिड़े ने आजतक से बात की थी. उन्होंने हिंसा फैलाने की घटना को राजनीतिक साजिश करार दिया था. उन्होंने कहा था कि मुझे फंसाया जा रहा है. मैंने हिंसा फैलाई यह बेकार की बाते हैं. मैं समाज को तोड़ने का काम नहीं करता हूं.

क्या है पूरा मामला?

कोरेगांव भीमा की लड़ाई को 200 वर्ष होने के उपलक्ष्य में 1 जनवरी 2018 को आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने लाखों की संख्या में लोग आए थे. पुणे के भीमा-कोरेगांव में एक कार्यक्रम के दौरान अचानक हिंसा भड़क गई थी. इस हिंसा में एक युवक की मौत भी हो गई. गांव में भड़की हिंसा के बाद जातिगत हिंसा पूरे महाराष्ट्र में फैल गई.

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