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India's Future Weapons: भारत के ये 5 फ्यूचर वेपन, जो चीन-पाकिस्तान के साथ बदल देंगे हमारा सैन्य संतुलन

ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 02 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST
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पड़ोसी मुल्कों यानी चीन और पाकिस्तान की हेकड़ी निकालने के लिए भारत ऐसे कई हथियार और रक्षा उपकरण बनाने जा रहा है, जो पूरी दुनिया को चौंका देंगे. लिस्ट तो लंबी-चौड़ी है लेकिन हम आपको भारत के पांच ऐसे हथियारों के बारे में बताएंगे जो बेहद सटीक और घातक होंगे. दुश्मन सपने में भी सरहद के इस पार कोई हरकत करने की नहीं सोचेगा. क्योंकि ये हथियार उसे नींद भी नहीं आने देंगे. ये वो हथियार हैं, जिनपर दुनिया के सभी बड़े देश काम कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटोः पेक्सेल/पिक्साबे)

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हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (Hypersonic Glide Vehicle)

भारत हाइपरसोनिक ग्लाइडर हथियार बना रहा है, उसका परीक्षण भी कर चुका है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण साल 2020 में किया था. इसे एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल- Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) कहते हैं. हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है. जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं. (फोटोः DRDO)

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भारत के एचएसटीडीवी (HSTDV) का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. हालांकि, फिलहाल इसकी गति करीब 7500 किलोमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन भविष्य में इसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है. इस यान से यात्रा तो की ही जा सकती है, साथ ही दुश्मन पर पलक झपकते ही बम गिराए जा सकते हैं. या फिर इस यान को ही बम के रूप में गिराया जा सकता है. (फोटोः DRDO)

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ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल भी हो रही है तैयार

रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं. इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जो इसे शानदार गति और ग्लाइड करने की क्षमता प्रदान करेगा. इस मिसाइल की रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी. लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी. यह मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से जागा जा सकेगा. (फोटोः DRDO)

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डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स (Directed Energy Weapons)

डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स (DEW) ऐसे हथियार होते हैं जो किसी खास प्रकार की ऊर्जा को एकत्रित करते पूरी ताकत के साथ किसी एक टारगेट पर हमला करते हैं. इससे वह टारगेट या तो जल जाता है. या फिर उसकी इलेक्ट्रॉनिक तकनीक, संचार सिस्टम, नेविगेशन प्रणाली आदि बेकार हो जाती हैं. इससे वह दिशा भ्रमित हो जाता है. अपने बेस से कनेक्ट नहीं कर पाता है. DEW से दो तरह के हमले किए जाते हैं. पहला लेजर लाइट और दूसरा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें. (फोटोः विकिपीडिया)

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पिछले साल एक खबर आई थी कि 130 अमेरिकी जासूसों, डिप्लोमैट्स, सैनिकों और एंबेसी कर्मचारियों को सिर दर्द, बेचैनी, सुनने में दिक्कत और ट्रॉमेटिक ब्रेन एंजरी हुई थी. माना जाता है कि इनके ऊपर DEW से हमला किया गया था. लेजर से हमला करके फाइटर जेट्स, ड्रोन्स, जंगी जहाज, टैंक्स आदि को नष्ट किया जा सकता है. इसमें काफी तेज ऊर्जा का बहाव होता है, जो सामने मौजूद चीज को जलाकर खाक कर देती है. (फोटोः फ्रेंच नेवी)

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अंग्रेजी मैगजीन द वीक में पिछले साल छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि DRDO एक खुफिया प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. जिसका नाम दुर्गा-2 (Directionally Unrestricted Ray-Gun Array - Durga) है. इसके तहत भारतीय सेना को 100 किलोवॉट की लाइटवेट डाइयरेक्टेड एनर्जी सिस्टम दिया जाएगा. अभी तक डीआरडीओ ने 25 किलोवॉट लेजर हथियार बनाया है, जो बैलिस्टिक मिसाइल पर 5 किलोमीटर दूर से हमला कर सकता है. हालांकि, 1 अप्रैल 2022 को लोकसभा में दिए गए एक जवाब में रक्षा राज्यमंत्री ने 300 किलोवॉट या उससे ज्यादा ताकत के हथियार बनाने का जिक्र किया है. (फोटोः डायनेटिक्स)

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नौसैनिक जहाज पर ड्रोन (Naval Ship Borne Unmanned Aerial Vehicle)

भारतीय नौसेना अपने जंगी जहाजों पर ड्रोन्स यानी अनमैन्ड एरियल व्हीकल (NSUAV) की मांग कई वर्षों से कर रही थी. जिसे पिछली साल केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी. अब भारतीय नौसैनिक जंगी जहाजों पर 10 नेवल शिपबॉर्न यूएवी की तैनाती की जाएगी. इसके लिए सरकार ने करीब 1300 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी. इससे पहले नौसेना ने दो प्रीडेटर ड्रोन्स (Predator Drones) को लीज पर लिया था. (फोटोः रॉयटर्स)

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भारतीय नौसेना अमेरिका से सी गार्जियन (Sea Guardian) ड्रोन्स हासिल करने का प्रयास भी कर रही थी. हालांकि अब ये भी माना जा रहा है कि देश की ही किसी कंपनी को नौसेना के लिए ड्रोन्स यानी मानवरहित विमानों की सप्लाई करने के लिए कहा जाए. क्योंकि भारत सरकार लगातार मेक इन इंडिया हथियारों और रक्षा उपकरणों पर जोर दे रही है. नौसैनिक ड्रोन्स से निगरानी, हमला और जासूसी में आसानी हो जाएगी. समुद्र में बैठे-बैठे नौसैनिक दुश्मन की जमीन पर ड्रोन के जरिए नजर रख सकेंगे. (फोटोः रॉयटर्स)

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हल्के टैंक (Light Weight Tanks)

भारतीय सेना पहले रूस के हल्के टैंक स्प्रट (Sprut Light Tanks) के बारे में विचार कर रही थी. लेकिन अब डीआरडीओ और लार्सन एंड टुब्रो मिलकर वज्र हॉवित्जर तोप (Vajra Howitzer) को हल्के टैंक में बदलने का प्रयास कर रहे हैं. 155 मिलीमीटर कैलिबर वाले वज्र हॉवित्जर से बनाए गए हल्के टैंक का फायदा ये होगा कि उसे ऊंचाई वाली रणभूमि तक पहुंचाया जा सकेगा. चीन से हुए पिछले संघर्षों के दौरान इसकी कमी महसूस हुई थी. (प्रतीकात्मक फोटोः गैब्रिएल लेन्का/अन्स्प्लैश)

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भारत सरकार ने हाल ही में मेक-1 (Make-1) प्रोजेक्ट के तहत देश की कंपनियों को 9 डिफेंस प्रोजेक्टस दिए हैं. इनमें से चार लाइट टैंक्स के हैं. चीन के साथ लद्दाख में हुए संघर्ष के बाद भारत ने वहां पर टी-72 और टी-90 टैंक्स तैनात किए थे. ये बेहद भारी होते हैं. इन्हें उस ऊंचाई तक पहुंचाना बेहद मुश्किल काम होता है. साल 2009 में जब माउंटेन डिविजन की शुरुआत की गई थी, तभी भारतीय सेना ने 200 व्हील्ड और 100 ट्रैक्ड लाइट वेट टैंक्स की मांग उठाई थी. (प्रतीकात्मक फोटोः स्किटर फोटो/पेक्सेल)

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भारतीय मल्टी रोल हेलिकॉप्टर (Indian Multi Role Helicopter)

भारतीय मल्टी रोल हेलिकॉप्टर (Indian Multi Role Helicopter - IMRH) एक मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर होगा. जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड बना रही है. इसकी पहली उड़ान की संभावना 2024-25 है. इसका उपयोग हवाई हमले, एंटी-सबमरीन, एंटी-सरफेस, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट और वीआईपी ट्रांसपोर्ट में किया जाएगा. इनके आने के बाद रूस के Mi-17 और Mi-18 को धीरे-धीरे हटा दिया जाएगा. इनका पांच पत्तियों वाला मुख्य पंखा होगा और चार ब्लेड वाला रोटर पीछे पूंछ पर होगा. (प्रतीकात्मक फोटोः सोमचाई कोन्गकामस्री/पेक्सेल)

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माना जा रहा है कि इसे उड़ाने के लिए दो पायलटों की जरूरत होगी. ये एक बार में 24 से 36 सैनिकों को ले जा सकेगा. या फिर 4500 किलोग्राम वजन उठा सकेगा. इसकी लंबाई 25.12 मीटर, ऊंचाई 6.22 मीटर होगी. इसमें 2 टर्बोशैफ्ट इंजन होंगे जो इसे 4000 किलोवॉट की ताकत देंगे. यह अधिकतम 300 किलोमीटर प्रतिंघटा की रफ्तार से उड़ सकेगा. इसकी रेंज 800 किलोमीटर होगी. अधिकतम 6700 मीटर की ऊंचाई तक जा सकेगा. इसमें लगने वाले हथियारों की फिलहाल कोई जानकारी नहीं है. (प्रतीकात्मक फोटोः मोहम्मद हसन/पिक्साबे)

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