कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर एक बार फिर मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक लिबास चर्चा में आ गए हैं. मुस्लिम महिलाओं द्वारा पारंपरिक रूप से पहने जाने वाले लिबास कई तरह के होते हैं जिनमें सबसे प्रचलित बुर्का और हिजाब है. अलग-अलग देशों में बुर्के और हिजाब के अलग-अलग रूप प्रचलित हैं. आइए जानते हैं मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले अलग-अलग लिबास के बारे में...
बुर्का- भारतीय समाज में मुस्लिम महिलाओं के बीच बुर्के का चलन ज्यादा नजर आता है. आम तौर पर बुर्के के दो हिस्से होते हैं. निचला हिस्सा कुर्ते की तरह लंबा होता है, जो कंधों से नीचे पैरों तक होता है. इससे पूरा शरीर कवर होता है. जबकि सिर कवर करने के लिए एक अलग हिस्सा होता है. इसे सिर पर बांधकर सिर के साथ-साथ चेहरे को भी कवर किया जाता है. बुर्के के कवर में आंखें भी नजर नहीं आती हैं. यानी बुर्का सिर से पांव तक, पूरे शरीर और चेहरे को पूरी तरह ढकने वाला लिबास होता है. बुर्के का निचला हिस्सा अबाया भी कहलाता जाता है. (Photo-AFP)
नक़ाब: नक़ाब वो होता है जो सिर्फ शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, विशेषकर सिर और चेहरे को. इसमें चेहरा बिल्कुल नजर नहीं आता है. लेकिन आंखें दिखाई देती हैं. जैसा कि कोई आम इंसान भी किसी कपड़े से अपने पूरे चेहरे को लपेट लेता है और सिर्फ आंखें दिखाई देती हैं. नक़ाब अगर प्रॉपर तरीके से पहना जाए तो इसमें पूरा सिर ढका होता है, पूरा चेहरा ढका होता है. जबकि शरीर का निचला हिस्सा इससे कवर नहीं होता है. सामान्य भाषा में इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि ये ये एक तरीके का गमछा होता है, जिसे लपेटकर पूरे मुंह और सिर को कवर किया जा सकता है.
हिजाब- हिजाब का चलन मौजूदा समय में ज्यादा नजर आता है. खासकर, यंग गर्ल्स के बीच ये ट्रेंड में रहता है. वो जींस-टीशर्ट के साथ भी हिजाब पहने नजर आ जाती हैं. हिजाब एक स्कार्फ होता है जिसे पूरे सिर पर लपेट लिया जाता है और गले तक कवर कर लिया जाता है. इसमें पूरा चेहरा, आंखें, और फोरहेड (माथा) खुला रहता है. आजकल, बुर्के के निचले हिस्से के साथ सिर पर हिजाब भी पहने जाते हैं.
चादर- देखने में ये बुर्के की तरह ही होता है. लेकिन ये सिंगल पीस वाला होता है. बुर्के में दो हिस्से होते हैं जबकि इसमें सिर्फ एक. चादर के आम तौर पर दो तरह के ट्रेंड इस्तेमाल में देखे जाते हैं.
पहला- चादर को सिर पर रखकर उसे शरीर पर लपेट लिया जाता है. इससे सिर और बॉडी का ऊपरी हिस्सा कवर हो जाता है. इसे जरूरत के हिसाब से दोनों हाथों से पकड़कर भी शरीर को कवर कर लिया जाता है. इसमें पूरा चेहरा कवर नहीं होता है. और न ही इससे बुर्के की तरह पांव तक पूरी बॉडी कवर होती है. मुस्लिम समुदाय के बीच शिया कम्युनिटी में इसका चलन काफी देखा जाता है. पाकिस्तान और ईरान में चादर का ट्रेंड काफी ज्यादा है. कामकाजी महिलाएं भी इस तरह की चादर का उपयोग करती हैं.
दूसरा- इसे सिंगल पीस में ही सिर ढकने के लिए टोपी के साथ डिजाइन किया जाता है. टोपी के साथ आंखें ढकने के लिए जाली भी लगाई जाती है. इसमें आंखें ढक जाती हैं और आंखों के नीचे का चेहरा नजर आता है. साथ ही, शरीर का निचला हिस्सा भी इससे पूरी तरह कवर नहीं होता है. अक्सर, बुजुर्ग महिलाओं को इस तरह की चादरों का इस्तेमाल करते हुए देखा जाता है.
शायला- इसका चलन हालांकि भारत में कम देखा जाता है. लेकिन ये भी एक तरह का हिजाब ही है. फर्क बस इतना है कि इसका साइज थोड़ा बड़ा होता है, जो पूरे सिर को कवर करने के साथ ही गर्दन भी कवर करता है और मफलर की तरह इसका कुछ हिस्सा नीचे तक लटका होता है. इसमें पूरा चेहरा दिखाई देता है.
अल अमीरा- इस्लामिक परंपरा के हिसाब से महिलाओं को अपने बालों को सही ढंग से छिपाना काफी अहम माना जाता है. अल-अमीरा एक उसी तरह का पर्दा है जो दो-पीस वाला स्कार्फ होता है. इसमें एक पीस से पूरे सिर को बहुत टाइट करके अच्छे से बांधा जाता है. जबकि दूसरे पीस को उसके ऊपर डालकर कंधों से लेकर चेस्ट तक को कवर किया जाता है. इसमें भी पूरा चेहरा खुला रहता है.
खिमार- ये भी अल-अमीरा की तरह ही होता है. इसमें भी पूरा चेहरा नजर आता है. सिर पूरी तरह ढका होता है. सिर के अलावा चेस्ट के थोड़ा नीचे तक ये पूरी बॉडी को कवर करता है, सिर के पीछे भी ये गर्दन के नीचे तक के पार्ट को कवर करता है. (Photos- Getty Images)