
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने मौजूदा संरचनाओं की ओवरहॉलिंग करने के उद्देश्य से भविष्य के युद्ध परिदृश्य को पूरा करने के अपने कर्तव्यों के चार्टर को फिर से नए रूप में ढालने के लिए एक विशेषज्ञ पैनल की स्थापना की है.
डीआरडीओ का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब रक्षा मंत्रालय (MoD) सैन्य निर्यात को कम करने के लिए आत्मनिर्भरता मंत्र पर काम कर रहा है.
24 अगस्त को जारी एक अधिसूचना में कहा गया था कि पैनल डीआरडीओ की सभी 52 प्रयोगशालाओं के उद्देश्यों पर नजर रखेगा और प्रयोगशालाओं के बीच प्रौद्योगिकियों के ओवरलैप को कम करने को ध्यान में रखते हुए एक अध्ययन भी करेगा.
पांच सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल का नेतृत्व आईआईटी, दिल्ली के निदेशक वी रामगोपाल राव कर रहे हैं और उन्हें विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए 45 दिनों की समयसीमा दी गई है.
सतीश रेड्डी को सेवा विस्तार
विशेषज्ञ पैनल में शामिल अन्य सदस्य हैं विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक एस सोमनाथ, नेवल सिस्टम्स एंड मटीरियल्स (NS & M) के महानिदेशक डॉक्टर समीर वी कामत, एयर मार्शल संदीप सिंह, एयर स्टाफ के डिप्टी चीफ और इंस्ट्रूमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट ऑफ डीआरडीओ के निदेशक बेंजामिन मिलेल शामिल हैं.
1958 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) का गठन किया गया था और वर्तमान में संगठन की कमान डॉक्टर जी सतीश रेड्डी के हाथों में है. महीने के अंत में उन्हें रिटायरमेंट से पहले दो साल का सेवा विस्तार दिया गया है.
सोमवार को 'आत्म निर्भर' के नारे के साथ काम करते हुए डीआरडीओ ने कहा कि भारत में स्वदेशी रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए 108 सिस्टम और सबसिस्टम विकसित किए जाएंगे.
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रक्षा मंत्रालय ने भी 101 वस्तुओं की एक सूची तैयार की है जिन्हें आयात करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है और अब इस घरेलू निर्माताओं से सशस्त्र बलों द्वारा खरीदा जाएगा.
आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की ओर
डीआरडीओ का एक प्रतिनिधिमंडल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिला और उन्हें लगभग 108 सिस्टम्स और सबसिस्टम्स से अवगत कराया, जिनकी पहचान केवल भारतीय उद्योग द्वारा डिजाइन और विकास के लिए की गई है.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस पहल से भारतीय रक्षा उद्योग के लिए एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में कई तकनीकों को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा.
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डीआरडीओ जरूरत के आधार पर इन प्रणालियों के डिजाइन, विकास और परीक्षण के लिए उद्योगों को सहायता प्रदान करेगा. अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठानों, सशस्त्र बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इन प्रणालियों की सभी आवश्यकताओं को उपयुक्त औद्योगिक उद्योग पर विकास अनुबंध या उत्पादन आदेशों के माध्यम से पूरा किया जा सकेगा.