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खुलने लगी दिल्ली! कमजोर हुआ किसान आंदोलन तो इन रास्तों से हटाए गए बैरिकेड्स

देश की राजधानी दिल्ली में करीब दो हफ्ते से चल रहे किसान आंदोलन की वजह से कई बॉर्डर को सील किया गया था. लेकिन अब पुलिस ने इन्हें खोल दिया है ताकि स्थानीय लोगों को आवागमन में परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

Delhi Police partially removed barricades (Photo-PT)I Delhi Police partially removed barricades (Photo-PT)I
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के कई बॉर्डर को सील किया गया था. हालांकि अब करीब दो हफ्ते बाद इनके कुछ हिस्से को खोल दिया गया है. दिल्ली पुलिस ने किसानों के "दिल्ली चलो" मार्च के कारण हरियाणा से लगे सिंघु और टिकरी बॉर्डर को बंद किया था. लेकिन अब लगभग दो हफ्ते बाद सोमवार से सर्विस लेन खोल दी गई है.

एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने बताया कि हमने शनिवार को ही सिंघु और टिकरी बॉर्डर को खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. अब दिल्लीवासियों को आवागमन में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. उन्होंने बताया कि बॉर्डर खुलने के बाद भी दिल्ली में 24 घंटे पुलिस का कड़ा सुरक्षा पहरा रहेगा.

पुलिस ने हटाए बैरिकेड्स 
वहीं रविवार के दिन पुलिस ने सीमेंट के बने बैरियर भी हटा दिए थे, ताकि स्थानीय लोगों को आने-जाने में किसी तरह की समस्या ना हो. 
बता दें कि सिंघु और टिकरी बॉर्डर को 13 फरवरी को सील कर दिया गया था क्योंकि पंजाब के किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी सहित अपनी मांगों के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में विरोध प्रदर्शन के साथ दिल्ली चलो मार्च शुरू किया था. 

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Delhi Police partially removed barricades (Photo-PTI)


एमएसपी पर कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली तक मार्च करने के बाद हजारों किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और ट्रकों के साथ हरियाणा, पंजाब की बॉर्डर पर खनौरी और शंभू में रुके हुए थे. पिछले बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के नेतृत्व में दिल्ली चलो मार्च को किसान नेताओं ने दो दिनों के लिए रोक दिया था, क्योंकि एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी और खनौरी में हुई इस झड़प में करीब 12 पुलिस कर्मी घायल हो गए थे. ये घटना तब हुई, जब कुछ प्रदर्शनकारी किसान बैरिकेड्स की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. 

वहीं किसान नेताओं का कहना था कि 29 फरवरी तक उनका जमावड़ा पंजाब, हरियाणा बॉर्डर के खनौरी और शंभू पर ही रहेगा, जब तक कि अगली कार्रवाई नहीं हो जाती. आपको बता दें कि पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने और 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलानें की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा वो भूमि अधिनियम 2013 की बहाली और साल 2020-21 में मरने वाले किसानों के परिवार के लिए मुआवजे की मांग भी कर रहे हैं. 

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