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400वां प्रकाश पर्व: साल 1675, औरंगजेब, लाल किला... और अब PM मोदी का भाषण, क्रोनोलॉजी समझें

आखिर इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए दिल्ली के लाल किले को ही क्यों चुना गया? वो कौन सा इतिहास है जिस वजह से पीएम मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित करने की ठानी?

पीएम नरेंद्र मोदी पीएम नरेंद्र मोदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 10:12 PM IST
  • 1675 में गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश दिया गया
  • 14 वर्ष की उम्र में गुरु तेग बहादुर ने मुगलों से लड़ा युद्ध

गुरु श्री तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व का उत्सव जोर-शोर मनाया जाएगा. कुछ ही देर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से देश के नाम संबोधन कर एक इतिहास रचने जा रहे हैं. वे आजाद भारत के इकलौते ऐसे प्रधानमंत्री होने वाले हैं जो सूर्यास्त के बाद लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करेंगे.

लेकिन सवाल ये आता है कि आखिर इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए दिल्ली के लाल किले को ही क्यों चुना गया? वो कौन सा इतिहास है जिस वजह से पीएम मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित करने की ठानी? अब सबसे पहले लाल किले के उस इतिहास को ही समझते हैं.

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गुरु तेग बहादुर के चार सौवें प्रकाश पर्व की लाल किले से विशेष अहमियत जुड़ी हुई है. इसी किले से मुगल शासक औरंगजेब ने 1675 में गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश जारी किया था. इसी वजह से लालकिले को गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती के आयोजन स्थल के रूप में चुना गया. 

अब लाल क़िले ने मुग़लिया सल्तनत का स्वर्णिम युग भी देखा और मुग़लिया सल्तनत का सूरज ढलते हुए भी देखा है. इसने राजनीतिक षड्यंत्र, प्यार-मोहब्बत और शहंशाहों का अंत भी देखा है. साल 1857 की क्रांति के दौरान लाल क़िला ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ विद्रोह का भी गवाह बना, इसी लालकिले बहादुरशाह जफर का जलवा भी देखा. लेकिन अब लाल किला तैयार है ,इस देश के स्वाभिमान को सर्वोच्च शिखर तक पहुंचाने वाले बलिदान को याद करने के लिए.

सिख इतिहास के मुताबिक महज़ 14 वर्ष की उम्र में ही गुरु तेग बहादुर ने अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में ऐसी बहादुरी दिखाई कि उससे प्रभावित होकर उनके पिता ने ही उनका नाम ‘तेग बहादुर’ यानी ‘तलवार का धनी’ रखा था. इसे भी संयोग हो समझा जायेगा कि गुरु नानक के बाद गुरु तेग बहादुर ही ऐसे गुरु थे, जिन्होंने पंजाब से बाहर सर्वाधिक उदासियां यानी लोगों को पाखंड के जंजाल से मुक्त करने और जागरूक बनाने के लिए यात्राएं कीं.

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लाल किले में लॉन से करेंगे संबोधित

अब उसी महान सपूत को याद करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले को चुना है और कुछ ही देर में वे देश के नाम वहां से एक संबोधन करने जा रहे हैं. हालांकि, प्रधानंमत्री का संबोधन लाल किले की प्राचीर से नहीं होगा, बल्कि लॉन से वो राष्ट्र को संबोधित करेंगे. लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के संबोधन की परंपरा रही है.

शीशगंज गुरुद्वारे में गुरबाणी

वैसे इस कार्यक्रम को लेकर खास तैयारी की गई है. चारों तरफ सिर्फ रौनक नहीं है बल्कि अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन होने जा रहा है. बताया गया है कि जब पीएम मोदी आज रात लाल किले से हिन्दू धर्म को बचाने के लिए सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर की अनोखी कुर्बानी का मतलब देश को समझा रहे होंगे, तब उससे महज़ चार सौ मीटर की दूरी पर चांदनी चौक के उसी ऐतिहासिक शीशगंज गुरुद्वारे में कीर्तन-रागी गुरबाणी का शबद गा रहे होंगे.

400 सिख संगीतकार करेंगे परफॉर्म

पीएम के संबोधन को लेकर सिख समुदाय में काफी उत्साह है. पीएम के संबोधन से गुरु तेगबहादुर की सीख जन-जन तक पहुंचने में मददगार होगी. इस सब के अलावा पीएम मोदी आज यहां पहुंचेंगे तो उनके सामने 400 सिख संगीतकारों परफॉर्म करेंगे. इस मौके पर विशेष लंगर का भी आयोजन होगा.

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लाल किले में म्यूजियम भी बनाया गया

वैसे लाल किले पर बुधवार शाम ही गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हो गई थी. कल पहले दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कार्यक्रम में मौजूद रहे. अब प्रधानमंत्री की बारी है. लाल किले पर कल से ही उत्सव के रंग बिखरे हुए हैं. गीत संगीत, मार्शल आर्ट.,. हर रंग नजर आ रहा है. गुरु तेगबहादुर के बारे में लोगों को जानकारी मिल सके, इसके लिए लाल किले पर म्यूजियम भी बनाया गया है.

(आजतक ब्यूरो)

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