पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में होली के लिए दो दिन के अवकाश की घोषणा की गई है. बलूचिस्तान में हर साल यहां के अल्पसंख्यक हिंदू होली का पर्व मनाते हैं.
रविवार को जारी की गई अधिसूचना में मुख्यमंत्री जाम कमाल खान ने 9 और 10 मार्च को सिर्फ हिंदू समुदाय के लिए अवकाश घोषित किया है. सिंध पाकिस्तान का पहला प्रांत था जिसने 2016 में हिंदू समुदाय के लिए होली पर अवकाश का ऐलान किया था. पाकिस्तान की 20 करोड़ की आबादी में 2 फीसदी आबादी हिंदुओं की है और सबसे ज्यादा हिंदू आबादी सिंध प्रांत में ही है.
बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री कमाल खान ने होली के मौके पर हिंदू समुदाय को शुभकामनाएं भी दीं. उन्होंने कहा, होली का पर्व हिंदुओं के लिए विजय का दिन है और रंगों का इस्तेमाल बसंत ऋतु का प्रतीक है.
मुख्यमंत्री ने कहा, बलूचिस्तान में सदियों से हिंदू समुदाय हमारी परंपराओं और संस्कृति का हिस्सा रहा है. उन्हें बहुसंख्यक आबादी की ही तरह धार्मिक स्वतंत्रता और बराबर अधिकार हासिल हैं.
बलूचिस्तान सीएम ने कहा, देश और प्रांत की प्रगति में हिंदू समुदाय का महान योगदान रहा है. लोगों के अधिकारों और धार्मिक आजादी की गारंटी की सुरक्षा के लिए झाब में हिंदुओं को उनका प्राचीन मंदिर सौंपा गया जबकि क्वेटा गुरुद्वारा सिख समुदाय को सौंपा गया.
कमाल ने कहा कि सहिष्णुता के मामले में प्रांतीय सरकार का ये बेहतरीन उदाहरण है. प्रांतीय सरकार और स्थानीय आबादी के आपसी सद्भाव की पूरी दुनिया में सराहना की जाती है.
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे कम आबादी वाला प्रांत है. प्राकृतिक गैस भंडार और खनिजों के मामले में भी यह बेहद समृद्ध है. 1948 के बाद से बलूचों ने पाकिस्तान के खिलाफ आजादी का आंदोलन छेड़ रखा है. इसके लिए भी पाकिस्तान भारत को जिम्मेदार ठहराता है.
बलूचिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का भी काफी विरोध हो रहा है. बलूचों को डर है कि इस योजना से उनकी डेमोग्राफी बदल जाएगी.