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आशा कुमारी ने ली कमलनाथ की जगह, बनीं पंजाब कांग्रेस की प्रभारी

कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव आशा कुमारी को ही तमाम जद्दोजहद के बाद कमलनाथ की जगह पंजाब कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त कर दिया है. हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से पांच बार की विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहीं आशा कुमारी अब तक प्रभारी महासचिव शकील अहमद के साथ प्रभारी सचिव का काम-काज संभाल रहीं थी, लेकिन शकील अहमद की छुट्टी और कमलनाथ के पद छोड़ने के बाद अब उनको ही पंजाब की जिम्मेदारी सौंप दी गई है.

आशा कुमारी आशा कुमारी
मोनिका शर्मा/कुमार विक्रांत
  • चंडीगढ़,
  • 26 जून 2016,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव आशा कुमारी को ही तमाम जद्दोजहद के बाद कमलनाथ की जगह पंजाब कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त कर दिया है. हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से पांच बार की विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रहीं आशा कुमारी अब तक प्रभारी महासचिव शकील अहमद के साथ प्रभारी सचिव का काम-काज संभाल रहीं थी, लेकिन शकील अहमद की छुट्टी और कमलनाथ के पद छोड़ने के बाद अब उनको ही पंजाब की जिम्मेदारी सौंप दी गई है.

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आशा कुमारी भी चंबा राजघराने से आती हैं और उनके भाई टी.एन. सिंह देव छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के विधायक दल के नेता हैं.

जमीन हड़पने के विवाद को हवा देंगे विपक्षी
26 फरवरी को इसी साल हिमाचल में अपने विधानसभा के चंबा इलाके में जमीन हड़पने के विवाद में निचली अदालत ने आशा कुमारी को 1 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद हिमाचल हाईकोर्ट से उनके एक ही दिन में जमानत मिल गई. तय है कि, विरोधी दल उनके खिलाफ इसको मुद्दा जरूर बनाएंगे.

पंजाब कांग्रेस का प्रभारी पद अरसे से था आलाकमान की उलझन की वजह
दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद से ही पंजाब कांग्रेस के प्रभारी महासचिव के तौर पर शकील की विदाई तय मानी जा रही थी. आखिर शकील के प्रभार वाले हरियाणा और दिल्ली में कांग्रेस तीसरे नंबर पर चली गई थी, लेकिन विकल्प खोजना कांग्रेस आलाकमान के लिए बेहद सिरदर्दी का काम था. इसके बाद ही आलाकमान ने वरिष्ठ नेता कमलनाथ को शकील अहमद की जगह दी. लेकिन 84 के दंगों के विवाद के बाद जब कमलनाथ ने पंजाब का प्रभार छोड़ा, तो पार्टी की किरकिरी भी हुई. सवाल उठा कि, या तो बनाते नहीं और बनाया था तो हटाते नहीं. पहले से ये सारी बातें क्यों नहीं सोची गईं.

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कमलनाथ के बाद कई नामों के बाद आया आशा कुमारी का नाम
इसके बाद आलाकमान ने कई राउंड की मींटिग की, लेकिन नतीजा नहीं निकला. मूलरूप से पंजाबी और सीनियर होने के नाते शीला दीक्षित का नाम तय होने ही वाला था कि दिल्ली के टैंकर घोटाले में एफआईआर दर्ज हो गई और शीला का नाम पीछे हो गया. फिर वरिष्ठ महासचिव दिग्विजय सिंह के नाम की चर्चा हुई, जिसे ये कहकर खारिज किया गया कि फिर विरोधी कांग्रेस को पंजाब में महाराजा अमरिंदर और राजा दिग्गी की पार्टी कहकर प्रचार कर सकते हैं. इसके बाद जब कोई बड़ा नाम नहीं सूझा, तो पार्टी ने आखिरकार लो-प्रोफाइल, गांधी परिवार की भरोसेमंद और कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव आशा कुमारी को ही प्रभारी बनाने का फैसला कर लिया. हालांकि आशा कुमारी को महासचिव का ओहदा नहीं दिया गया है.

गांधी परिवार से करीबी भी एक वजह
वैसे आशा कुमारी को प्रभारी बनाकर कांग्रेस ने साफ संदेश दे दिया कि पंजाब में इस बार अमरिंदर ही सर्वेसर्वा होंगे. आशा कुमारी का कद पिछले दिनों लगातार बढ़ता रहा है. बतौर सचिव वो दिल्ली और हरियाणा में प्रभारी महासचिव के साथ अहम रोल निभा रहीं थी और उनके काम-काज के साथ ही उनकी गांधी परिवार से वफादारी ने उनको ये नया प्रमोशन दिला दिया.

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