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'नैतिकता' के नाम पर घिर सकते हैं सिद्धू, हाईकोर्ट से 'राहत' की उम्मीद

पूरी बहस के बाद हाईकोर्ट ने भी नवजोत सिंह सिद्धू को राहत दिए जाने के संकेत दिए. हाईकोर्ट ने भी माना की नैतिकता किसी पर थोपी नहीं जा सकती है और कानून के पास ऐसा कोई प्रावधान भी नहीं है

नवजोत सिंह सिद्धू नवजोत सिंह सिद्धू
सतेंदर चौहान
  • चंडीगढ़,
  • 11 मई 2017,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST

"नवजोत सिंह सिद्धू को मोरल ग्राउंड पर TV शो में काम करना छोड़ देना चाहिए, ये एक मंत्री के आचरण से जुड़ी बात है जिस पर एक मंत्री को खुद ही फैसला लेना है और देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत नवजोत सिंह सिद्धू को TV में काम करने से रोका जा सके."

ये वो बातें हैं जो आज पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में उस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कही जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कैबिनेट मंत्री के पद पर रहते हुए TV शो में काम करने से रोकने की मांग की गई है. इस मामले में गुरुवार को हाईकोर्ट में हुई एक अहम सुनवाई में पंजाब सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल अतुल नंदा सरकार और नवजोत सिंह सिद्धू का पक्ष रखने के लिए पेश हुए तो वहीं याचिका लगाने वाले वकील एच सी अरोड़ा भी हाईकोर्ट में मौजूद रहे. इस दौरान दोनों पक्षों की तरफ से करीब 2 घंटे तक बहस हुई.

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एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने कहा कि कोड ऑफ कंडक्ट मंत्रियों पर कोर्ट की तरफ से लागू नहीं करवाया जा सकता है और ये मंत्री के आचरण का मामला है. एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने हाई कोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट के एन टी रामाराव के फैसले की कॉपी भी रखी और कहा कि इसी तरह के ही इस केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने उनके TV शो या फिल्मों में काम करने को लेकर बैन नहीं लगाया था बल्कि उनके आचरण का फैसला खुद उन पर ही छोड़ दिया था और नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में भी कानून के पास ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि उन्हें टीवी शो में काम करने से रोका जा सके. और ये मामला कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट या फिर प्रोपराइटरी का नहीं बनता है.

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इस पूरी बहस के बाद हाईकोर्ट ने भी नवजोत सिंह सिद्धू को राहत दिए जाने के संकेत दिए. हाईकोर्ट ने भी माना की नैतिकता किसी पर थोपी नहीं जा सकती है और कानून के पास ऐसा कोई प्रावधान भी नहीं है. हो सकता है कि याचिकाकर्ता और कोर्ट को लगे कि नवजोत सिंह सिद्धू को कैबिनेट मंत्री के पद पर रहते हुए TV शो में काम नहीं करना चाहिए लेकिन अंतिम फैसला खुद नवजोत सिंह सिद्धू को ही लेना होगा. अदालत कानूनों से बंधी हुई है और नवजोत सिंह सिद्धू को जबरदस्ती नहीं रोका जा सकता. हालांकि फिर भी इस पूरे मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील एच सी अरोड़ा को 2 अगस्त तक का वक्त दिया है और अगली सुनवाई पर उन्हें नैतिक आधार पर नहीं बल्कि इस मामले के कानूनी पहलुओं के आधार पर बातें कोर्ट के सामने रखने के निर्देश दिए हैं.

सुनवाई के बाद वकील एच सी अरोड़ा ने कहा कि भले ही कानून नवजोत सिंह सिद्धू को TV शो में काम करने से ना रोक सके लेकिन नैतिक आधार पर उनकी हार हुई है. क्योंकि हाई कोर्ट ने भी माना है कि नैतिकता के आधार पर नवजोत सिंह सिद्धू का TV शो में काम करना और मंत्री पर बने रहना ठीक नहीं है. लेकिन, फिर भी कानूनी बंधन होने की वजह से उन्हें रोका नहीं जा सकता है. एच सी अरोड़ा ने कहा कि वो इस मामले की अगली सुनवाई में कुछ और कानूनी पहलू कोर्ट के सामने रखेंगे.

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वहीं पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने इस पूरे मामले पर कोर्ट से बाहर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया उन्होंने कहा कि अभी ये मामला कोर्ट में चल रहा है और कोर्ट के अंदर जो कुछ सरकार की तरफ से वो रख रहे हैं वो बातें मीडिया से शेयर नहीं की जा सकतीं.

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में गुरुवार को हुई बहस से जिस तरह का कोर्ट का रुख सामने आया है उससे लगता है कि नवजोत सिंह सिद्धू को हाईकोर्ट से राहत मिल जाएगी लेकिन नैतिकता के आधार पर उन्हें अपने राजनीतिक जीवन और सार्वजनिक जीवन में जनता को जवाब जरूर देना होगा कि जब हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी कर दी की नैतिकता के आधार पर एक कैबिनेट मंत्री का इस तरह के TV शो में काम करना ठीक नहीं है तो उसके बावजूद क्यों नवजोत सिंह सिद्धू TV शो में अपने काम को जारी रखे रहे. फिलहाल इस पूरे मामले में हाईकोर्ट से नवजोत सिंह सिद्धू को भले ही राहत मिल जाए लेकिन जनता के बीच जाने पर उन्हें जनता के सवालों का जवाब जरूर देना होगा.

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