
जहरीली शराब कांड में हुई किरकिरी के बाद पंजाब सरकार ने डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया है. कैप्टन अमरिंदर मंत्रिमंडल के सदस्य बलबीर सिद्धू, सुखजिंदर सिंह सरकारिया, डॉ राजकुमार वेरका और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने प्रभावित जिलों का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मिले.
पंजाब सरकार के मंत्रियों ने जहरीली शराब कांड के पीड़ित परिवारों को दो लाख रुपए प्रति परिवार मुआवजे के चेक दिए और कहा कि राज्य सरकार जल्द ही एक्साइज एक्ट में संशोधन करके इसे और कड़ा करने जा रही है.
स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने तरनतारन में कहा कि एक्साइज एक्ट में बदलाव कर जहरीली शराब बेचने वाले लोगों के खिलाफ हत्या के मामले दर्ज करने का प्रावधान किया जाएगा. इसके अलावा एनडीपीएस एक्ट में भी बदलाव करके उसमें जहरीली शराब से संबंधित धारा भी जोड़ी जाएगी.
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उधर कांग्रेस सरकार के मंत्रियों द्वारा बांटे गए मुआवजे के चेक को लेकर पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं दिखे. पीड़ित परिवारों ने सरकार से मांग की है कि हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए. उधर विपक्षी शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने सरकार के डैमेज कंट्रोल को सिर्फ औपचारिकता करार दिया है.
ज्ञापन सौंपा
अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने जहरीली शराब कांड की जांच सीबीआई से करवाने के लिए राज्यपाल बीपी सिंह बदनोर को एक ज्ञापन सौंपा और सरकार को बर्खास्त करने की मांग की. सुखबीर बादल ने कैप्टन अमरिंदर सरकार की संवेदनहीनता को लेकर तीखा हमला बोला और कहा कि जहरीली शराब पीकर 120 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और 15 से ज्यादा लोग अंधे हो चुके हैं. जिसके लिए कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है.
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अकाली दल और बीजेपी नेताओं ने पंजाब की कांग्रेस सरकार पर शराब माफिया को शह देने का आरोप भी लगाया. बीजेपी नेता विनीत जोशी ने पंजाब की कैप्टन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि चाहे जहरीली शराब कांड हो या फिर लॉकडाउन के दौरान धड़ल्ले से बेची गई अवैध शराब, इन सब मामलों के लिए पंजाब सरकार और कांग्रेस के नेता जिम्मेदार हैं.
बीजेपी और अकाली दल नेताओं ने कहा है कि जहरीली शराब कांड का सच जानने के लिए सीबीआई की जांच होना जरूरी है ताकि असली दोषियों के चेहरे बेनकाब हो सके.