
अजमेर शरीफ दरगाह में शनिवार रात हाई वोल्टेज ड्रामा देखने को मिला. दरगाह के मौजूदा दीवान जैनुल आबेदीन ने अपने बेटे को उत्तराधिकारी घोषित कर उनसे सालाना उर्स की रस्म कराना चाही तो इसका विरोध होने लगा. दरगाह से जुड़े दूसरे सेवकों ने दीवान के इस कदम की आलोचना करते हुए उन्हें दरगाह के जन्नती दरवाजे में नहीं घुसने दिया. जिसके बाद दीवान अपने बेटे को लेकर
दरअसल, अजमेर शरीफ में सालाना उर्स चल रहा है, जहां लाखों की संख्या में जायरीन पहुंच रहे हैं. सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज के 806वें उर्स के मौके पर ख्वाजा साहब की पवित्र मजार पर होने वाली गुस्ल के रस्म को दरगाह दीवान जैनुल आबेदीन करते आए हैं. लेकिन इस बार रस्म को लेकर विवाद की स्थति पैदा हो गई. दीवान ने अपने बेटे से ये रस्म कराना चाही तो दरगाह के दूसरे लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया. जिसके बाद दोनों पक्षों में खींचतान हो गई.
उत्तराधिकारी की घोषणा को दरगाह की परंपराओं के विपरीत बताते हुए ग़ुस्ल की रस्म में दीवान के पुत्र नसीरुदीन को शामिल नहीं होने दिया गया. जिस पर मौजूदा दीवान आबेदीन ने अपने बेटे के बिना आस्ताना शरीफ में प्रवेश नहीं करने की शर्त रख दी. दीवान की इस हट पर भी खादिम नहीं माने और जन्नती दरवाजे को बंद कर दिया. जिसके बाद दीवान और उनके बेटे को जन्नती दरवाजे के बाहर ही बैठना पड़ा. दरगाह के इतिहास में पहली बार हुआ है कि रात 2 बजे से सुबह 5 बजे तक दीवान और उनके बेटे नसीरुद्दीन को जन्नती दरवाजे के बाहर बैठना पड़ा.
विवाद बढ़ने के बाद पुलिस को मौके पर पहुंचना पड़ा. तड़के सुबह करीब करीब 4.30 बजे जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने दीवान जैनुल आबेदीन को समझाया. जिसके बाद दीवान अपने बेटे के साथ चले गए और खादिमों ने जन्नती दरवाजा खोल दिया.