
करौली के मचेट गांव में भैंसावट नदी पर पुलिया नहीं होने से लोगों को ट्यूब पर बैठकर नदी पार करने को मजबूर होने की खबर आज तक पर चलने के बाद एक ओर जहां नेशनल हयूमन राइट कमीशन ने राज्य सरकार को नोटिस देकर जबाब मांगा है. वहीं जिला प्रशासन भी हरकत में आया.
प्रशासन ने पंचायत समिति के सहयोग से नदी में 200 फुट लंबी और आठ फीट चौड़ी सड़क बनाने का काम शुरू कर दिया. काम तेजी से चल रहा हैं जो दो तीन दिन में पूरा होने की उम्मीद है. जिला कलेक्टर मनोज शर्मा ने निर्देश देकर एसडीएम व पटवारी को मौके पर भेजा और स्थिति का पता लगवाया है. उन्होंने बताया कि लोगों को नदी पार न करनी पड़े इसके लिए प्रबंध करवाएंगे. सार्वजनिक निर्माण विभाग को निर्देश देकर नदी पर पुलिया निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार कर टैंडर करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि पंचायत समिति को निर्देश देकर स्कूली बच्चों के लिए गांव से स्कूल तक वाहन की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए हैं.
पार करनी पड़ती है नदी
उन्होंने कहा कि नदी में नाव चलाकर नदी पार कराना भी असुरक्षित है. इसलिए समस्या के स्थाई समाधान के लिए शीघ्र पुलिया का निर्माण कराया जाएगा. मचेट गांव के करीब 70 बच्चों को स्कूल जाने के लिए
और ग्रामीणों को आवश्यक कार्य के लिए ट्यूब पर सवार होकर भैंसावट नदी पार करनी पड़ती है. जिसमें कई बार हादसे भी हो जाते हैं. इसके अलावा बीमार एवं गर्भवती महिलाओं को भी ट्यूब से नदी पार करके
अस्पताल पहुंचाना पड़ता है. कई बार शिकायत व मांग करने पर भी सरकार व प्रशासन ने पुलिया निर्माण का कार्य नहीं कराया. जब आज तक ने खबर दिखाई तो अब कार्यवाही शुरू हो चुकी है. सड़क निर्माण तेजी से
चल रहा है.
21 सितंबर को दिखाई गई खबर
शिक्षा के नाम पर सरकार करोड़ो खर्च करने का दावा करती है मगर करौली जिला मुख्यालय पर एक छोटा सा गांव ऐसा भी हैं जहां से अभिभावक अपने बच्चों की जान जोखिम डालकर बच्चों को पढ़ने लिए भेजते हैं.
करौली से 20 किमी दूर स्थित मचेट गांव है जहां चारों ओर पहाड़ियां है बरसात के समय भैंसावट नदी में पानी आने से ग्रामीण अपने बच्चों को नदी ट्यूब के सहारे पार कराकर 10 से 15 किमी की दूरी पर पैदल ही
स्कूल भेजते हैं. गांव में प्राइमरी विद्यालय है इस वजह से गांव वालों को मजबूरी में अपने बच्चों की जान जोखिम डालकर प्रतिदिन नदी को ट्यूब के सहारे पार कराकर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चैनपुर, कौंडर
भेजते हैं. लगभग 200 मीटर लम्बी नदी में बच्चे प्रतिदिन सुबह-शाम स्कूल आने-जाने के लिए ट्यूब को नदी में चलाते हैं. नदी में पानी 15 फीट के करीब है.
गांव के विद्यालय शिक्षक सियाराम का कहना है कि नदी की लंबाई 150 से 200 मीटर व गहराई 15 फीट है जिसे प्रतिदिन स्कूली विद्यार्थियों के अलावा ट्यूब के सहारे प्रसूति महिला व मरीजों को नदी पार करनी पड़ती है. जिसमें हमेशा खतरा बना रहता है. कई बार ग्रामीणों ने प्रशासन से शिकायत की है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. हमारी आप से गुहार है कि नदी पर पुल बनाया जाए.
12वीं की छात्रा अनीता कहती है कि नदी का पानी बहुत गहरा है. प्रतिदिन हमें ट्यूब के सहारे नदी पार करनी पड़ती है. जिससे स्कूल जाने में देर हो जाती है. हमारी पढ़ाई छूट जाती है. छात्रा ने अधिकारियों से गुहार लगाई कि हमारी समस्या को दूर करने के लिए नदी पर पुल बनवाया जाए.