
पाकिस्तान के जुल्म-ओ-सितम से परेशान होकर भारत आए 14 पाकिस्तानी विस्थापितों के लिए 15 अक्टूबर का दिन ऐतिहासिक बन गया. लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार इन्हें भारत की नागरिकता मिल गई. मंगलवार को कलेक्ट्रेट में जयपुर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इन्हें नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंप दिया.
पाकिस्तान से परेशान होकर भारत आए विस्थापित परिवारों को सालों बाद भारत की नागरिकता के साथ नई पहचान मिली. एक विस्थापित की पत्नी पति मरियम खातून और संतो खान, डॉक्टर लक्ष्मीकांत, किरण शर्मा, किशनलाल और कलावती को जैसे ही नागरिकता मिली, इनकी आंखें खुशी से छलक पड़ीं. इन सभी ने भारत माता की जय के नारे लगाने शुरू कर दिए.
20 साल से रह रहे थे परिवार
यह सभी 20 साल से अधिक समय से बगैर किसी पहचान के जयपुर में रह रहे थे. विस्थापन का दर्द झेल रहे 14 में से कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने सन 1991 से भारत में शरण ले रखी थी तो कई परिवारों ने सन 1991 से, तो कुछ ने इसके बाद जयपुर को अपना ठिकाना बनाया. इन्हें वर्षों से भारतीय नागरिकता का इंतजार था.
'पाक में अल्पसंख्यकों पर होता है जुल्म'
भारत की नागरिकता पाने वाले नागरिकों ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढाया जाता है. आखिरकार हमें अत्याचार से मुक्ति मिल गई और अब हम भारत माता की गोद में आजादी से सांस ले सकेंगे. भारत की नागरिकता मिलने के बाद अब हमारी जिंदगी में किसी तरह का कोई डर और भय नहीं है.
इन्हें दी गई नागरिकता
पाकिस्तान से आईं मरियम खातून, संतो खान, मोट्योमल, सपन बाई, किशनलाल, कलावती, मुकेश कुमार, मोर ओड, दिलीप कुमार, संतरी बाई, लक्ष्मीकांत, किरण शर्मा, चंद्रन बाई, लाजाजी को भारत की नागरिकता दी गई.
सरकार ने दिया है जिलाधिकारियों को अधिकार
भारत सरकार ने हाल ही में देश के 40 जिलाधिकारियों को उनके जिले में रह रहे पाकिस्तानी विस्थापितों को भारत की नागरिकता देने का अधिकार दिया है. हालांकि बड़ी संख्या में पाक विस्थापितों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर रखा है. जयपुर में अब तक 122 पाकिस्तानी विस्थापितों को भारत की नागरिकता दी जा चुकी है.
आईबी की रिपोर्ट पर दी जाती है नागरिकता
आईबी की रिपोर्ट आने के बाद ही पाकिस्तान से आकर शरणार्थी के रूप में रहने वालों को नागरिकता दी जाती है. पाकिस्तानी विस्थापितों के लिए संघर्ष करने वाले निकेतन संस्था के अध्यक्ष जय आहूजा ने कहा कि अभी भी पाकिस्तानी विस्थापितों के 5100 आवेदन लंबित पड़े हैं. आईबी की रिपोर्ट समय पर नहीं आने की वजह से नागरिकता नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार 90 दिन के अंदर आईबी की रिपोर्ट आ जानी चाहिए, लेकिन एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद रिपोर्ट नहीं आ पा रही है.
थार एक्सप्रेस से आकर नहीं लौटते हिंदू
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद से थार एक्सप्रेस का परिचालन बंद चल रहा है. इस ट्रेन से पाकिस्तान के हिंदू बड़ी संख्या में वीजा लेकर भारत आते हैं, मगर वह वापस नहीं लौटना चाहते. वह शरणार्थी बनकर यहीं रह जाते हैं.