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महिला यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए बस में पैनिक बटन, जीपीएस और सीसीटीवी होने से उनका सफर आसान, सुरक्षित और सम्मानजनक होगा. दिल्ली से राजस्थान के शहरों के बीच चलने वाली बसों की सूरत ऐसे ही बदलनी शुरू हुई है. तीन साल बाद ही सही लेकिन निर्भया फंड का इस्तेमाल शुरू तो हुआ.
राजस्थान सरकार ने इस बाबत पहल करते हुए इन तकनीकी सुविधाओं से लैस एसी और नॉन एसी बसों का बेड़ा सड़कों पर उतार दिया है. राजस्थान के परिवहन मंत्री युनुस खान के मुताबिक, जल्दी ही सारी बसों में ये सुविधाएं होंगी. इसमें आने वाले खर्च में केंद्र आधी रकम दे तो बाकी आधा खर्च राज्य सरकार वहन कर लेगी.
गडकरी ने दी हिदायत
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस परियोजना का शुभारंभ कई उम्मीदों और हिदायतों के साथ किया. गडकरी ने हिदायत दी कि भविष्य में इन उपकरणों के फिटनेस की जांच रोजमर्रा के रखरखाव में शामिल होगी. उन्होंने यह भी कहा कि बस बनाने वाली कंपनियां निर्माण के वक्त ही ये सुविधाए फिट कर दें तो खर्च भी कम आएगा.
महिला और बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि ऐसी ही सुविधा देश की हर बस में मुहैया कराने की मुहिम शुरू होगी. सुरक्षा का भाव ही हिम्मत देता है.
बस में क्या है खास...
बस में मौजूद महिला यात्री मुश्किल वक्त पर पैनिक बटन दबा सकती है. बटन दबते ही पुलिस और परिवहन विभाग को ऑटोमेटेड मैसेज फौरन जाएगा. जीपीएस के जरिए बस की लोकेशन पता चल जाएगी. कोई असामाजिक तत्व बस में चढ़ा या उतरा है तो CCTV की रिकॉर्डिंग उसकी पहचान कर देगी. यानी महिलाओं की सुरक्षा, सुविधा और सम्मान की इस शुरुआत को आगे दूर तक चलाने और बढ़ाने के लिए जाहिर है ज्यादा रखरखाव और संवेदनशीलता जरूरी है.