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राजस्थान: स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों की पूछी जाति, सरकार ने कहा- सिरफिरे अधिकारी का आदेश

राजस्थान सरकार के एक अजीबोगरीब फैसले से भारी विवाद खड़ा हो गया है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर डॉक्टरों की जात बताने के लिए कहा है.

राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 22 जून 2017,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

राजस्थान सरकार के एक अजीबोगरीब फैसले से भारी विवाद खड़ा हो गया है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने आदेश जारी कर डॉक्टरों की जात बताने के लिए कहा है.

ये आदेश सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को भेजा गया है. आदेश में स्वास्थ्य अधिकारियों से ये बताने के लिए कहा गया है कि कौन सा डॉक्टर किस जाति का है. साथ ही डॉक्टरों की तैनाती कहां और कितने दिनों से है, ये भी पूछा गया है. सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों से डॉक्टरों की जाति संबंधी स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय भेजने का आदेश दिया गया है.

क्यों जारी किया गया आदेश?

राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. वी.के. माथुर ने सर्कुलर जारी करने भी हैरान करने वाली वजह बताई. उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने के लिए ऐसा किया गया है. उन्होने बताया कि जाति के आधार पर डॉक्टर की सूचना होने से बेहतर काम होगा और हमें काम में आसानी होगी.

स्वास्थ्य मंत्री ने की आलोचना

हालांकि राजस्थान सरकार स्वास्थ्य विभाग के इस आदेश को नकार दिया है. स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ सर्कुलर को सिरफिरे अधिकारी का आदेश करार दिया है. साथ ही उन्होंने उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.

वहीं मंत्री जी की सख्ती के बाद जब स्वास्थ्य विभाग निदेशक से दोबारा बात की गई तो उनके सुर ही बदल गए. निदेशक डॉ. माथुर ने इस सर्कुलर को क्लैरिकल और टाइपिंग ऐरर बता डाला. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की जाति पूछने की सूचना गलत है. आदेश पर बाकायदा उनके हस्ताक्षर थे. मगर अब निदेशक लिपिक की जांच कराने की बात कर रहे हैं.

कांग्रेस ने उठाए सवाल
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण को बीजेपी की मानसिकता से जोड़कर बताया है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने जो अपनी कार्यकारिणी घोषित की है, उसमें भी जाति का हवाला दिया है. कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि बीजेपी डॉक्टरों में भी समाज को बांटने का काम कर रही है.

बता दें कि ये आदेश स्वास्थ्य विभाग से जनसंपर्क अधिकारी तक गया है. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल पर अपडेट हुआ है. ऐसे में मंत्री और अधिकारियों को इसकी जानकारी न होने का दावा थोड़ा कमजोर नजर आता है.

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