
आखिरकार 22 दिन बाद राजस्थान सरकार आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच की सिफारिश करने के लिए तैयार हो गई है. राजपूतों के 22 जुलाई के जयपुर कूच को देखते हुए राजस्थान सरकार ने मंगलवार को राजपूत नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया और उनकी सातों मांगें मानने पर राजी हो गई.
दरअसल 22 जुलाई को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जयपुर आ रहे हैं और उसी दिन राजपूतों के जयपुर जाम से सरकार घबराई हुई थी. लिहाजा गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने राजपूत सभा भवन के नेताओं के साथ वार्ता किया और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आनंदपाल एनकाउंटर की जांच के लिए राजस्थान सरकार सिफारिश करेगी.
साथ ही आनंदपाल सिंह की बड़ी बेटी चीनू को दुबई से भारत आने पर कोई परेशान नही किया जाएगा. चीनू पर पिता आनंदपाल को जेल से भगाने की योजना में शामिल होने का आरोप है. सरकार इस बात पर भी राजी हो गई कि 12 जुलाई को आनंदपाल की श्रद्धांजलि सभा में मारे गए और घायल हुए लोगों को सरकार मुआवजा की निर्धारित नीति के तहत मुआवजा भी देगी.
समझौते के अनुसार, राजस्थान सरकार आनंदपाल के परिवार पर दर्ज अन्य मामलों में कोई द्वेषपूर्ण कार्रवाई नहीं करेगी. जिस घर में आनंदपाल का एनकाउंटर हुआ है, उसके मालिक श्रवण सिंह के परिवार को परेशान नही किया जाएगा. साथ ही, एनकाउंटर में घायल सोहन सिंह से उसके परिजनों को मिलने में हो रही परेशानी को दूर किया जाएगा.
राजस्थान सरकार के इस फैसले को देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि जब ये मांगें माननी हीं थीं, तो इतना बवाल क्या मचने दिया गया. ये समझौते तो पहले भी हो सकते थे. माना जा रहा है कि सरकार के मांगे मान लेने के बाद राजपूत संगठन अपना आंदोलन वापस ले सकते हैं. उधर आनंदपाल के गांव सांवराद में भी दिन का कर्फ्यू हटा लिया गया है और हालात सामान्य हो रहे हैं.