
1984 सिख विरोधी दंगे मामले में सीबीआई के अहम गवाह अभिषेक वर्मा का पॉलीग्राफ टेस्ट एक बार फिर नहीं हो पाया. अभिषेक ने दावा किया है कि सीबीआई के ऑफिसर ने फोन करके उसे बताया कि रोहिणी की एफएसएल लैब में फिलहाल उसका पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं हो सकता. अभिषेक के अनुसार उन्हें बताया गया कि पॉलीग्राफ मशीन टूट गई है और इसीलिए 27 नवंबर से 30 दिसंबर के बीच में उसका पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं किया जा सकता. कड़कड़डूमा कोर्ट ने अभिषेक वर्मा के पॉलीग्राफ टेस्ट कराने का आदेश दिया था.
यह दूसरी बार है जब अभिषेक वर्मा का पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं हो पाया है. इससे पहले सीबीआई के गवाह और आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा ने दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में एक अर्जी दायर कर दिल्ली में रोहिणी के एफएसएल विभाग पर आरोप लगाया है कि जब वो पॉलीग्राफी टेस्ट कराने एफएसएल गए थे तो वहां के वैज्ञानिकों का व्यवहार पक्षपात वाला था. एफएसएल के लोग अपना काम कम कर रहे थे और आरोपी जगदीश टाइटलर की तरफदारी ज्यादा कर रहे थे.
अभिषेक वर्मा 1984 सिख विरोधी दंगे मामले में सीबीआई का गवाह हैं. इस मामले में अभिषेक वर्मा ने बयान दिया था कि जगदीश टाइटलर ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर अहम गवाह को प्रभावित किया था और उसे कनाडा भेजा था. सीबीआई के पास वर्मा के गवाही के अलावा और कोई सबूत नहीं है. इस मामले में सीबीआई अभिषेक वर्मा और जगदीश टाइटलर का पॉलीग्राफी टेस्ट कराना चाहती थी. अभिषेक वर्मा पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए तैयार हो गए थे, लेकिन जगदीश टाइटलर ने पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए मना कर दिया.
पिछली बार पोलीग्राफ कराने के दौरान अभिषेक वर्मा का ये भी आरोप था कि कड़कड़डूमा कोर्ट के आदेश को एफएसएल के वैज्ञानिकों ने नहीं माना. कोर्ट के आदेश में ये कहा गया था कि जब अभिषेक वर्मा का पॉलीग्राफी टेस्ट हो उस समय उनके वकील भी लेबोरेट्री के कमरे रहेंगे. वैज्ञानिकों ने अभिषेक वर्मा के वकील को बिल्डिंग से बाहर निकलने को कह दिया था.
1984 सिख विरोधी दंगे मामले में 4 दिसम्बर 2015 को सीबीआई ने आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा को गवाह बनाया था. 8 फरवरी 2017 को सीबीआई ने कोर्ट में याचिका लगाई थी कि वो अभिषेक वर्मा का पॉलीग्राफी टेस्ट कराना चाहती है. सीबीआई के लिए अभिषेक वर्मा का पॉलीग्राफी टेस्ट बहुत अहम है. इस मामले में सीबीआई तीन बार क्लोज़र रिपोर्ट दायर करा चुकी है, लेकिन कोर्ट हर बार सीबीआई को दोबारा जांच करने का आदेश देती रही है.