
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में बढ़ते विवाद पर केंद्र के निपटने के तरीके और दक्षिणपंथी धड़े की फासीवादी ताकतों की कार्रवाई को वैध करार देने पर बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी की जेएनयू इकाई के तीन पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया.
तीनाें ने जारी किया संयुक्त बयान
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की जेएनयू इकाई के संयुक्त सचिव प्रदीप नरवाल ने कहा कि उन्होंने पार्टी छोड़ दी है. यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (एसएसएस) की एबीवीपी इकाई के अध्यक्ष राहुल यादव और इसके सचिव अंकित हंस ने भी कहा कि उन्होंने पार्टी छोड़ दी है. तीनों नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा कि उन्होंने एबीवीपी छोड़ने का फैसला किया है, क्योंकि राजग सरकार जिस तरह से इन मुद्दों से निपट रही है उससे उनका जबरदस्त मतभेद है.
बयान के अनुसार, यूनिवर्सिटी परिसर में नौ फरवरी को लगे राष्ट्र विरोधी नारे भावनाओं को आहत करने वाले थे. इसके लिए चाहे जो भी जिम्मेदार हो उसे कानून के मुताबिक जरूर सजा मिलनी चाहिए. लेकिन जिस तरह राजग सरकार इस पूरे मामले से निपट रही है, चाहे वह प्रोफेसरों पर कार्रवाई, वकीलों द्वारा मीडियाकर्मियों और कन्हैया कुमार पर अदालत परिसर में बार बार हमले का मामला हो, यह अनुचित है. एबीवीपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि संगठन को अभी तक उनका इस्तीफा नहीं मिला है. उनके अनुसार, हर रोज यूनिवर्सिटी के गेट पर लोग भारत का झंडा लेकर जेएनयू के छात्रों को पीटने के लिए इकट्ठा हो जाते हैं. यह कोई राष्ट्रवाद नहीं बल्कि गुंडागर्दी है.
जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया की रिहाई की मांग को लेकर जेएनयू के छात्र हड़ताल पर हैं. कुमार को विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में बीते शुक्रवार को राष्ट्रद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कार्यक्रम के दौरान कथित रूप से भारत विरोधी नारे लगाए गए थे. एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम के आयोजन का विरोध किया था जिसके बाद कुलपति ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी.