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Modi@4: आयकरदाताओं को राहत देने के मामले में कंजूस बनी रही सरकार

मौजूदा समय में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार का आख‍िरी पूर्ण बजट भी जारी कर लिया है, लेकिन इन चार सालों में उन्होंने खुद की ही उठाई मांग को पूरा नहीं किया. नतीजा ये हुआ कि टैक्स के मोर्चे पर भी आम आदमी को इन चार सालों के दौरान कोई खास राहत नहीं मिली है.

पीएम मोदी और अरुण जेटली पीएम मोदी और अरुण जेटली
विकास जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2018,
  • अपडेटेड 7:57 AM IST

साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन भाजपा नेता और मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली एक चुनावी सभा में बोल रहे थे. यहां उन्होंने आयकर छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने की मांग उठाई. उन्होंने कहा, 'इससे 3 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को फायदा होगा'.

मौजूदा समय में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोदी सरकार का आख‍िरी पूर्ण बजट भी जारी कर लिया है, लेकिन इन चार सालों में उन्होंने खुद की ही उठाई मांग को पूरा नहीं किया. नतीजा ये हुआ कि टैक्स के मोर्चे पर भी आम आदमी को इन चार सालों के दौरान कोई खास राहत नहीं मिली है.

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पहला बजट पहला बदलाव:

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई, 2014 में जब अपनी सरकार का पहला बजट पेश किया था, तो इस दौरान उन्होंने टैक्स स्लैब में बदलाव किए थे. इस दौरान आयकर छूट की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दिया गया. 60 साल से ज्यादा के उम्र वालों के लिए इसे 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दिया गया. इसके साथ ही सेक्शन 80सी के तहत आयकर छूट हासिल करने की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया गया.  आय कर पर 3 फीसदी एजुकेशन सेस को जारी रखा गया.

वित्त वर्ष 2014-15 के लिए ये था टैक्स स्लैब

टैक्स स्लैब                             टैक्स

2.5 लाख तक                          कोई टैक्स नहीं

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2.5 लाख से ज्यादा और 5 लाख तक       10%

5 लाख से ज्यादा और 10 लाख तक        20%

10 लाख से ज्यादा                       30%

(नोट: यह टैक्स स्लैब 60 साल से कम उम्र वालों के लिए है.)

2015 में कोई बदलाव नहीं

वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2015  के बजट में इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया. इस दौरान उन्होंने 1 करोड़ से ज्यादा आय वालों पर लगने वाले सरचार्ज में 2 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. इसके बाद पहले जो सरचार्ज 10 फीसदी था, वह 12 फीसदी हो गया.

कम हुई टैक्स देनदारी:

वित्त वर्ष  2016-17 का बजट पेश करने के दौरान भी वित्त मंत्री अरुण  जेटली ने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया. हालांकि यहां आम आदमी को राहत देने के लिए 2.5 लाख रुपये की आय पर लगने वाले 10 फीसदी टैक्स को घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया. इस दौरान सेक्शन 87A के तहत मिलने वाली छूट को भी 2 हजार से बढ़ाकर 5 हजार कर दिया गया. इस सेक्शन के तहत उन्हें छूट मिलती है, जिनकी आय 5 लाख रुपये से कम है. इसी दौरान सरचार्ज को 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया गया.

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साल 2017 के बजट में भी इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. इस दौरान हालांकि सेक्शन 87A के तहत मिलने वाली छूट को 5 हजार से घटाकर 2500 रुपये कर दिया गया. इसका लाभ उठाने के लिए कुल आय 3.5 लाख रुपये कर दी गई.

इस बार भी आयकर छूट की सीमा जस की तस:

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी में वित्त वर्ष  2018-19 के लिए बजट पेश किया. इसमें भी टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. इस बार विशेषज्ञों से लेकर आम आदमी तक, ये उम्मीद जता रहे थे कि आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख या 5 लाख हो सकती है. लेक‍िन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. 

अरुण जेटली ने आयकर छूट की सीमा को जस का तस रखा. उन्होंने इस बजट में एजुकेशन सेस को बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया. इसके साथ ही वेतनभोगियों से ट्रांसपोर्ट  अलाउंस और मेडिकल अलाउंस पर मिलने वाली छूट को खत्म करते हुए स्टैंडर्ड ड‍िडक्शन की वापसी की. बजट में 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड ड‍िडक्शन देने की घोषणा की गई. हालांकि इससे आम आदमी को कोई बड़ी राहत नहीं मिली.

मोदी सरकार के आख‍िरी पूर्ण बजट में भी इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. अब देखना यह होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद जो सरकार चुनकर आती है, वह इस मोर्चे पर क्या कदम उठाती है.

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