
एक खोटे सिक्के को 'जादुई सिक्का' बताकर एक पूर्व आर्मी अफसर की जीवन भर की कमाई ठग ली गई. अफसर को ये खोटा सिक्का एक दुर्लभ यानी चावल खींचने वाला 'जादुई सिक्का' बताया गया. इस सिक्के के अफसर ने 70 लाख दे दिए.
नासिक में हुई इस वारदात को दिल्ली की एक ठग कंपनी ने अंजाम दिया. अभी तक दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने तीन को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि तीनों से फिलहाल कोई रिकवरी नहीं हुई है. दिल्ली पुलिस के जॉइंट सीपी रवींद्र यादव ने बताया कि ठगों ने नासिक के निवासी पूर्व सूबेदार मेजर बलराज सिंह परमार की जीवन भर की जमा-पूंजी ठगी. इस बाबत नासिक पुलिस के पास केस रजिस्टर्ड था.
नासिक में पूर्व आर्मी अफसर को जाल बिछाकर ठगा गया. आरोपी ने खुद को एयरफोर्स से रिटायर्ड बताकर पूर्व आर्मी अफसर से दोस्ती की. उसने खुद को फ्रांस की एक कंपनी का भारत में एजेंट बताया उसने अफसर के दिमाग में यह बात डाली कि उनकी कंपनी 'राइस पुलर' के लिए डील करती है, जो कि तांबे और इरीडियम की मिश्रित धातु है, जिसका इस्तेमाल नासा जैसी वैज्ञानिक संस्था उपग्रहों और स्पेस में उर्जा पैदा करने के लिए करती हैं. इसकी कीमत करोड़ों में है. आरोपी ने अफसर को और भी लोगों से मिलाया, जिन्होंने पूरी साजिश के तहत उन्हें वो सिक्का 70 लाख में बेच दिया.
ये है राइस पुलर
पुलिस के अनुसार राइस पुलर, मतलब चावल खींचने वाली धातु. ऐसी धातु वास्तव में होती भी है या नहीं, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इसके बारे में प्रचलित जरूर है कि यह तांबे व मिक्स धातु की दशकों पुरानी मूर्ति, सिक्का, कटोरी या दीये के आकार की होती है, जो चावल के दानों को अपनी तरफ खींच सकती है. कोई इसे दैवीय गुण कहता है तो कोई वैज्ञानिक. इसी वजह से कहा जाता है कि इसका उपयोग वैज्ञानिक रिसर्च, शटल प्रोग्राम वगैरह में होता है. यह भी कहा जाता है कि नासा जैसी संस्थाएं इस पर रिसर्च करने के लिए करोड़ों की कीमत चुकाने को तैयार हो जाती हैं.