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CJI की अपील पर छुट्टियों में भी काम करेंगे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज

ऐसा करने वाला इलाहाबाद हाईकोर्ट देश का पहला हाईकोर्ट है. चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ की पहल पर हाईकोर्ट के 68 जजों ने अब तक गर्मी की छुट्टियों में भी न्यायिक कार्य करने की सहमति दी है.

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संदीप कुमार सिंह
  • इलाहाबाद ,
  • 30 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर के अनुरोध को स्वीकार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के 68 जजों ने गर्मियों की छुट्टियों में भी मुकदमों की सुनवाई करने की सहमति दे दी है. ऐसा करने वाला इलाहाबाद हाईकोर्ट देश का पहला हाईकोर्ट है. चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ की पहल पर हाईकोर्ट के 68 जजों ने अब तक गर्मी की छुट्टियों में भी न्यायिक कार्य करने की सहमति दी है.

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मीटिंग में निर्णय लिया गया
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल एसके सिंह की ओर से जारी पत्र के मुताबिक, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट बार असोसिएशन के वरिष्ठ सदस्यों व सीनियर जजों से भी गर्मी की छुट्टी में न्यायिक कार्य की सहमति ली है. बार के पदाधिकारियों व सीनियर जजों के साथ इस संबंध में चीफ जस्टिस की मीटिंग में निर्णय लिया गया है कि गर्मी की छुट्टी के दौरान जेल अपीलों, जिसमें जेलों में सजा काट रहे अपराधी और सरकार द्वारा दायर क्रिमिनल अपीलों की सुनवाई, जज वरीयता के आधार पर करेंगे.

क्रिमिनल अपीलों की भी सुनवाई होगी
यही नहीं, कुछ कोर्ट पुराने क्रिमिनल अपीलों की भी सुनवाई करेंगे. इन सभी मुकदमों को नोटिफाई कर दिया जायेगा जिससे वकील अपनी सहमति दे सकें.

एक जून से 30 जून तक होती है छुट्टी
गौरतलब है कि हाईकोर्ट के जजों ने पहली बार अपनी गर्मी की छुट्टियां छोड़ी हैं. हाईकोर्ट में प्रतिवर्ष गर्मी की छुट्टी एक जून से 30 जून के बीच होती है. इस दौरान सिर्फ जरूरी मुकदमों की ही सुनवाई की जाती है. लेकिन इस बार गर्मी की छुट्टियों में कोर्ट काम करेगा और जेल में सजा काट रहे अपराधियों की अपीलों पर विशेष रूप से सुनवाई भी की जाएगी.

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हाईकोर्ट में पेंडिंग हैं 9 लाख मुकदमे
एशिया के सबसे बड़े इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिलहाल लगभग 9 लाख मुकदमे पेंडिंग हैं. दो वर्ष पहले पेंडिंग मुकदमों की संख्या 11 लाख थी. इन्हीं दो वर्षों में साढ़े तीन लाख नए मुकदमे भी फाइल हुए. जजों की कम संख्या के बावजूद हाईकोर्ट में इस दौरान लगभग साढ़े पांच लाख मुकदमों का निस्तारण किया गया. अब नई पहल से यह बोझ और कम होने की संभावना बढ़ गयी है.

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