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सरकार का साथ देने वाली AGP का यू-टर्न, नागरिकता कानून के खिलाफ जाएगी SC

नागरिकता कानून पर अब असम गण परिषद (AGP) ने यूटर्न ले लिया है. एनडीए में सहयोगी दल असम गण परिषद अब नागरिकता कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.

असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा (फाइल फोटो-ANI) असम गण परिषद के अध्यक्ष अतुल बोरा (फाइल फोटो-ANI)
इंद्रजीत कुंडू
  • गुवाहाटी,
  • 14 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 10:40 PM IST

  • नागरिकता कानून पर असम गण परिषद ने बदला रुख
  • केंद्र सरकार के कानून को सुप्रीम कोर्ट में मिलेगी चुनौती

नागरिकता कानून पर अब असम गण परिषद (AGP) ने यूटर्न ले लिया है. एनडीए में सहयोगी दल असम गण परिषद अब नागरिकता कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी. एक बैठक में पार्टी ने नागरिकता कानून का विरोध करने और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देने का फैसला किया है.

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इसके साथ ही नागरिकता कानून को लेकर एजीपी नेता पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात करेंगे. बता दें कि संसद में एजीपी ने नागरिकता संशोधन बिल के पक्ष में वोट किया था.

नागरिकता संशोधन कानून पर असम में तेज विरोध प्रदर्श देखने को मिल रहा है. भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) का समर्थन करने की वजह से असम गण परिषद के तमाम नेताओं ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से विरोध प्रदर्शन जताया था. पार्टी नेताओं में अनबन की खबरें सामने आ रही थीं. माना जा रहा है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इन्हीं विरोधों के चलते समर्थन वापस लेने का फैसला लिया है.

नागरिकता कानून का कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया है. नागरिकता कानून के खिलाफ कई जगह हिसंक झड़पों के मामले सामने आ रहे हैं.

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गौरतलब है इससे पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सीएए को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने सीएए व एनआरसी के बीच सांठगांठ की बात भी कही. ओवैसी का कहना है कि एनआरसी का उद्देश्य भारत में रहने वाले अवैध प्रवासियों की पहचान करना है.

ओवैसी ने उन्होंने शीर्ष अदालत से सीएए-एनआरसी सांठगांठ से पर्दा उठाने का आग्रह किया, जो संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत हर व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में बाधा बन सकता है. वकील निजाम पाशा के जरिए दायर याचिका में कहा है कि यहां तक कि एक अवैध प्रवासी को भी कानून द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं के अलावा उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित करने का अधिकार नहीं है.

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