
नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस की लीज खत्म करने और उसे खाली करने के केंद्र सरकार के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है. कोर्ट मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा.
शहरी विकास मंत्रालय ने अपने आदेश में हेराल्ड हाउस की लीज खत्म करते हुए उसे 15 नवंबर तक खाली करने को कहा है. इससे पहले इस इमारत को खाली करने के लिए एजेएल को नोटिस जारी किया गया था. लेकिन विभाग को इस मामले में नेशनल हेराल्ड की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला जिसके बाद अक्टूबर में विभाग ने आखिरी कार्रवाई करते हुए इसे खाली करने के आदेश दे दिए.
शहरी विकास मंत्रालय के भूमि व विकास कार्यालय (एलएनडीओ) का कहना है एजेएल को यह जमीन अखबार प्रकाशित करने के लिए दी गई थी. लेकिन अखबार के प्रकाशन से जुड़ी कोई भी गतिविधि इस इमारत में नहीं हो रही है. एलएनडीओ का कहना था कि इस मामले में नियम और शर्तों का पालन ना होने और जमीन का गलत इस्तेमाल होने के कारण लीज को रद्द कर वापस लेने का फैसला लिया गया है.
जबकि एजेएल ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी याचिका में कहा है कि फिलहाल इस इमारत से हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू के साप्ताहिक अखबार निकाले जा रहे हैं. अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज के नाम से अखबार प्रकाशित किए जा रहा हैं. ऐसे में इमारत को खाली कराने का फैसला पूरी तरह से मनमाना और राजनीति से प्रेरित है. आईटीओ की पुरानी इमारत को खाली कराने के पीछे सरकार की मंशा विपक्ष की आवाज को दबाने की है.
याचिका में कहा गया है कि हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू के अखबार निकाले जाने के बावजूद अगर जमीन वापस ली जा रही है और लीज रद्द की जा रही है तो साफ है कि यह इन अखबारों को बंद करने की मंशा से किया जा रहा है. जो सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(a)का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की विरासत को संभाले हुए नेशनल हेराल्ड को बंद करने की साजिश सरकार द्वारा की जा रही है.