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उपवास के बीच शाह का ब्लॉग: कांग्रेस ने जनता की चिंता छोड़ी, काम में बन रहे रुकावट

अमित शाह ने लिखा कि कांग्रेस ने सदन जनता के प्रति प्रतिबद्वता की चिंता छोड़ बाधा पहुंचाने में महारत हासिल कर ली है. इसलिए बहस करने की बजाय हंगामा करके कामकाज में बाधा पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया.

कर्नाटक में धरने पर बैठे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कर्नाटक में धरने पर बैठे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 12 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST

विपक्ष के हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही बाधित होने का आरोप लगाते हुए मोदी सरकार ने आज देशभर में उपवास किया. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी इस दौरान कर्नाटक में उपवास और धरने पर बैठे. अमित शाह ने गुरुवार को ही ब्लॉग लिखा और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.

अमित शाह ने लिखा कि कांग्रेस ने सदन जनता के प्रति प्रतिबद्धता की चिंता छोड़ बाधा पहुंचाने में महारत हासिल कर ली है. इसलिए बहस करने की बजाय हंगामा करके कामकाज में बाधा पहुंचाने का बीड़ा उठा लिया.

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बीजेपी अध्यक्ष ने लिखा, ''पिछले दिनों जो हुआ उसे देखकर यही लगता है कि सदन में सार्थक बहस करने की बजाय सदन के बाहर हंगामा करने में उनकी दिलचस्‍पी ज्‍यादा दिखी. इस बात को हर देशवासी भी भली-भांति समझ रहा है''.

शाह ने लिखा कि बैंक घोटाला, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्‍य का दर्जा, कावेरी विवाद से लेकर अविश्वास प्रस्ताव तक में सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री, वित्‍त मंत्री, गृह मंत्री ने आश्‍वस्‍त किया था कि सदन को चलने दिया जाए और इन मुद्दों पर बहस कराई जाए.

अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए लिखा कि हम कहना चाहते हैं कि दिखावा मत करिए बल्कि मुद्दों पर आकर बहस करिए. सरकार हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है, कांग्रेस के सुर में सुर कुछ विपक्षी दल भी मिलाने लगे.

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अमित शाह ने आरोप लगाया कि विपक्ष के हंगामे के कारण जनता के पैसे की काफी बर्बादी हुई. उन्होंने लिखा कि बजट सत्र के दूसरा हिस्‍से में भी 22 कार्य दिवस पूरी तरह से बर्बाद हो गए. राज्‍यसभा में हंगामे के कारण बजट सत्र के दूसरे चरण में 121 घंटे और लोकसभा में लगभग 128 घंटे बर्बाद हुए.

उन्होंने लिखा कि लोकसभा और राज्यसभा चलाने का प्रति घंटे का खर्चा क्रमशः 1.57 और 1.10 करोड़ आता है. अतः कांग्रेस और विपक्ष के गैर जिम्मेदाराना रुख के कारण बजट सत्र के सिर्फ दूसरे चरण में राज्यसभा में ही विपक्ष के हंगामे के कारण जनता के लगभग 133 करोड़ और लोकसभा में लगभग 200 करोड़ रुपए व्यर्थ हो गए.

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