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आतंकी हुए हाईटेक, भारत-पाक सीमा पर 'कैलकुलेटर' एप से भारतीय सेना को दे रहे हैं चुनौती

जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकवादी ‘कैलकुलेटर’ एप के जरिये पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बैठे अपने आकाओं से संपर्क में बने रहते हैं. इस एप के जरिए घुसपैठियों को भारतीय सेना की ओर की जा कार्रवाई से भी बचने में मदद मिलती है.

आतंकियों के पास हाई टेक्नोलॉजी आतंकियों के पास हाई टेक्नोलॉजी
मंजीत नेगी/अमित कुमार दुबे
  • श्रीनगर,
  • 28 जून 2016,
  • अपडेटेड 7:41 PM IST

जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकवादी ‘कैलकुलेटर’ एप के जरिये पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बैठे अपने आकाओं से संपर्क में बने रहते हैं. इस एप के जरिए घुसपैठियों को भारतीय सेना की ओर की जा कार्रवाई से भी बचने में मदद मिलती है.

आतंकियों के पास हाई टेक्नोलॉजी
खुफिया सूत्रों के मुताबिक सीमा पार में घुसपैठ के लिए तैयार किए जा रहे आतंकियों को बकायदा टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी दी जारी है. आतंकियों को मैप रीडिंग. जीपीएस रीडिंग, एप के जरिए रूट की जानकारी के साथ-साथ तमाम तरह के टेक्निकल ट्रेनिंग दी जा रही है. जानकारी के मुतबिक कुल 40 आतंकी कैंप सीमा पर चलाए रहे हैं. जिसमें से 17 कैंप बेहद सक्रिय हैं और इनमें से 5 कैंपों में आतंकियों को प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण देने की जानकारी मिली है.

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आतंकी कैंपों में दी जा रही है ट्रेनिंग
दरअसल पिछले दिनों सीमा पर पकड़े गए लश्कर के आतंकियों से पूछताछ के दौरान एजेंसियों को यह जानकारी हाथ लगी कि आतंकी संगठनों ने खुद को आधुनिक बना लिया है और 'कैलकुलेटर' नाम की एक एप तैयार किया है, इस एप के बारे में आतंकियों को कैंपों में विस्तार से ट्रेनिंग दी गई है और यह एप मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की स्थिति में भी काम करता है.

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती
वहीं आतंकियों के पास आधुनिक टेक्नोलॉजी होने की वजह से भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को उनकी गतिविधियों पर नजर रखने में परेशानी हो रही है. घुसपैठ करने वाले आतंकियों के पास वायरलेस और मोबाइल फोन का इस्तेमाल किए जाने जैसी गतिविधियों पर तकनीकी नजर रखने के लिए सेना की सिग्नल यूनिट और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. इसके साथ ही दूसरी एजेंसियों को भी आतंकवादियों की ओर से उपयोग में लाई जा रही प्रणाली तक पहुंचने में दिक्कतें आ रही हैं.

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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीमा पर अपने रेडियो सेट और मोबाइल के साथ पकड़े गए आतंकवादियों को रास्तों और इलाके के बारे में निर्देश मिलते थे. इसी से जुड़े घटनाक्रम में सेना घुसपैठ रोधी प्रयासों में कमियों को दूर करने की कोशिश कर रही है और इसके तहत सैनिकों की तैनाती अधिक कर दी गई है.

आतंकी गतिविधियां बढ़ने की आशंका
गौरतलब है कि आतंकियों के पास नई टेक्नोलॉजी होने की वजह से सीमा पर घुसपैठ की वारदात बढ़ने की एक बड़ी वजह है. इस साल के अप्रैल तक कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ की संख्या 35 रही थी. हालांकि सुरक्षा एजेंसियों के अलर्ट के बाद जम्मू में घुसपैठ की तीन कोशिशों को नाकाम कर दिया था. साल 2015 में घुसपैठ की 121 प्रयास हुए थे जिनमें से 33 सफल हो गए थे. जबकि साल 2014 में 222 बार घुसपैठ की कोशिश हुई थी और 65 पर आतंकी घुसने में सफल रहे थे.

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