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कश्मीर में इस खास डिवाइस से घरों में छिपे आतंकियों को पकड़ रही है सेना

जम्मू कश्मीर में सेना ने आतंकियों पर नकेल कस रखी है. सेना अब वहां एक ऐसे खास डिवाइस का इस्तेमाल कर रही है, जिससे घरों की चहारदीवारी के पीछे छिपे आतंकियों का पता लगाया जा सकता है.

प्रतीकात्मक प्रतीकात्मक
साद बिन उमर
  • श्रीनगर,
  • 11 जून 2017,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST

जम्मू कश्मीर में सेना ने आतंकियों पर नकेल कस रखी है. सेना अब वहां एक ऐसे खास डिवाइस का इस्तेमाल कर रही है, जिससे घरों की चहारदीवारी के पीछे छिपे आतंकियों का पता लगाया जा सकता है.

'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने सेना से जुड़े शीर्ष सूत्रों ने बताया है कि अमेरिका और इजराइल से 'थ्रू द वॉल' रडार मंगाए गए हैं, जिससे दीवार के आरपार देखा जा सकता है. ये रडार तलाशी ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की सटीक स्थिति बताने में खासा मददगार साबित हो रहे हैं.

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सूत्रों ने बताया कि पिछले कई मौके पर देखा गया कि सटीक खुफिया इनपुट्स के आधार पर पुलिस या सेना जब आतंकियों को पकड़ने जाती, तो वे चकमा देकर घरों में छुप जाते थे. ऐसे में तलाशी अभियान लंबा खिंचता और फिर हिंसक भीड़ और पत्थरबाज भारतीय सुरक्षाबलों के मिशन में मुश्किल खड़ी करने लगते थे. ऐसे में सेना ने दीवारों के पार देखने वाले इन रडार का कुछ जगहों पर इस्तेमाल भी शुरू कर दिया है और ये काफी कारगार भी साबित हुए है.

DRDO के पूर्व निदेशक (पब्लिक इंटरफेस) रवि गुप्ता के हवाले से खबर में बताया गया है कि ये रडार माइक्रोवेव रेडिएशन पर काम करते हैं. इन माइक्रोवेव तरंगों की मदद से इंसानों के शरीर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों में छोटे बदलावों का भी पता चल जाता है. रडार पर उभरने वाले संकेत सेना को छुपे हुए आतंकवादियों की जगह और उनकी गतिविधियों का तुरंत पता बता देते हैं.

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वर्ष 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों के बाद इन रडारों की जरूरत महसूस की गई थी. इस हमले के दौरान आतंकी ताज महल होटल के कमरों में छिपे थे और उनकी तलाश में कमांडोज को काफी मुश्किल और नुकसान का सामना करना पड़ा था.

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