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कई गुना बढ़ेगी ताकत, पहाड़ों पर चीन के खिलाफ अब भारत का 'ब्रह्मास्त्र' होगा ब्रह्मोस

सेना के पास स्टीप डाइव ब्रह्मोस ऐसा घातक हथियार होगा जो चीन के साथ लगी पर्वतीय सीमा पर सैन्य अभियानों को बखूबी अंजाम देगा. ब्रह्मोस मिसाइल के स्टीप डाइव को हाल ही में अंडमान निकोबार में परीक्षण की कसौटी पर परखा गया.

ब्रह्मोस मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल
प्रियंका झा/मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 3:26 PM IST

मोदी सरकार ने चीन से लगने वाली अरुणाचल सरहद पर सेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल की चौथी रेजिमेंट तैनात करने का बड़ा फैसला किया है. हाल ही में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने ये फैसला लिया. सेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइल की चौथी रेजिमेंट में 100 मिसाइल शामिल होंगी. लेह से लेकर अरुणाचल तक ऊंचे पहाड़ों में चीन जैसे ताकतवर मुल्क से मुकाबला करने के लिए सेना को ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों से लैस किया जायेगा जो पहाड़ियों की ओट में बनाये गए दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने में सक्षम होगी.

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हाल ही में किया गया था परीक्षण
सेना के पास स्टीप डाइव ब्रह्मोस ऐसा घातक हथियार होगा जो चीन के साथ लगी पर्वतीय सीमा पर सैन्य अभियानों को बखूबी अंजाम देगा. ब्रह्मोस मिसाइल के स्टीप डाइव को हाल ही में अंडमान निकोबार में परीक्षण की कसौटी पर परखा गया. यह लक्ष्य को 70 से 90 डिग्री के कोण से या एकदम सिर के ऊपर से भेदने में सक्षम है. सेंसरों और उपग्रहों से जुड़ी इस मिसाइल को सुपरसोनिक गति से बड़े खतरनाक करतबों के जरिए 290 किलोमीटर दूर के लक्ष्य को भेदने के लिए निर्देशित किया जा सकता है.

विमानों को गिराने में सक्षम
चीन से लगती सीमा पर ब्रह्मोस की तैनाती से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ जायेगी.इस मिसाइल के 90 डिग्री के कोण से मार करने की क्षमता के चलते यह विमानों को गिरा सकती है और यह नौसेना के लिए भी काफी उपयोगी होगी. सेना की तीन ब्रह्मोस रेजिमेंट रिपोर्टों के अनुसार मैदानी और रेगिस्तान क्षेत्र में तैनात हैं. ब्रह्मोस के सीईओ सुधीर कुमार मिश्रा ने 'आज तक' से खास बातचीत में बताया कि इस नई मिसाइल से सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी.

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सेना में ब्रह्मोस की चौथी रेजिमेंट
सेना में यह ब्रह्मोस की चौथी रेजिमेंट होगी. पहाड़ के पार आक्रमण का मोर्चा संभालने वाली इस मिसाइल प्रणाली पर 4300 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इसमें अरुणाचल और जम्मू-कश्मीर के लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिसाइल के रखरखाव पर आने वाली लागत भी शामिल है. ब्रह्मोस मिसाइल का आज कोई सानी नहीं है लेकिन जल्द ही ये मिसाइल सुपरसोनिक से हाइपरसोनिक होने जा रही है. ब्रह्मोस आज दुनिया में अकेली और सर्वश्रेष्ठ सुपरसोनिक मिसाइल है. मल्टी मिशन मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर की है और इसकी गति 2.8 मैक है. यह भूमि, समुद्र, उप समुद्र और वायु से समुद्र और भूमि लक्ष्यों के खिलाफ हमला करने में सक्षम है.

अब तक 9 युद्धपोतों में तैनात ब्रह्मोस
नौसेना में अब तक 9 युद्धपोतों में ब्रह्मोस मिसाइल तैनात हो चुकी है. पिछले साल 16 अगस्त को मुंबई में प्रधानमंत्री मोदी ने जिस आईएनएस कोलकाता युद्धपोत को नौसेना में शामिल किया था उसमें 16 ब्रह्मोस मिसाइल तैनात की गई हैं. ब्रह्मोस के हवाई संस्करण को भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमकेआई स्ट्राइक फाइटर पर उड़ान परीक्षणों के लिए तैयार किया जा रहा है. इस मिसाइल को साल के अंत तक सुखोई-30 एमकेआई विमान से परीक्षण करने की योजना है.

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संसद में पहली बार दिखी मिसाइल
संसद भवन में टैंक और मिसाइल देखकर डरने की जरुरत नहीं है. न तो कोई आतंकी हमले का डर है और न ही आपातकालीन हालात पैदा हुए हैं. वास्तव में यह डीआरडीओ के हथियारों की प्रदर्शनी है जो सांसदों के लिए लगाई गई है. यह पहला मौका होगा जब संसद भवन में डीआरडीओ ने देश भर के सांसदों के लिए ऐसी कोई प्रदर्शनी लगाई है. तीन अगस्त से पांच अगस्त तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने किया. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने लोकसभा स्पीकर को अलग अलग हथियारों के बारे में जानकारी दी.

ये सारे हथियार देश में ही बने हैं. इनमें लाइट कॉम्बेट एयरकाफ्ट तेजस, ब्रहमोस मिसाइल, अर्जुन टैंक, मल्टी बैरल रॉकेट लांचर पिनाका, वरुणास्त्र टारपीडो, रडार के अलावा कई अन्य हथियार प्रणाली शामिल हैं. डीआरडीओ की आलोचना इस बात को लेकर होती है कि उनके ज्यादातर प्रोजेक्ट समय सीमा में पूरे नहीं होते जिसका खामियाजा सेना को उठाना पड़ता है.

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