
सुप्रीम कोर्ट ने असम के डिटेंशन सेंटर्स में बुनियादी मानवीय सुविधाएं न होने की शिकायत वाली याचिका खारिज कर दी. जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच के सामने असम के 6 डिटेंशन सेंटर्स में सुविधाओं को लेकर याचिका दी गई थी. बेंच ने कहा कि शिकायतों के साथ कोई सबूत या दस्तावेज नहीं है. लिहाजा इस याचिका में कोई मेरिट नहीं है.
उधर सोमवार को असम सरकार के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम में बन रहा डिटेंशन सेंटर भारत सरकार या असम सरकार का आइडिया नहीं है. उन्होंने कहा कि वे खुद भी डिटेंशन सेंटर के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन ये न्यायपालिका का विचार है. इंडिया टुडे के कार्यक्रम इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2019 में उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेंटर का विचार गुवाहाटी हाई कोर्ट का है.
दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाल में डिटेंशन सेंटर स्थापित करने की किसी भी संभावना से इनकार कर चुकी हैं. अवैध विदेशियों को रखने के लिए असम और कर्नाटक जैसे राज्यों में डिटेंशन सेंटर स्थापित किए जा रहे हैं. ममता ने इन्हीं शिविरों की तर्ज पर बंगाल में कोई भी डिटेंशन सेंटर स्थापित नहीं होने की बात कही.