
डिटेंशन सेंटर हमारा आइडिया नहीं
हेमंत बिस्वा ने कहा कि वे खुद डिटेंशन सेंटर में घुसपैठियों को लोगों को रखने के पक्ष में नहीं है. हेमंत बिस्वा ने कहा, "एक व्यक्ति के नाते में डिटेंशन कैंप के आइडिया का समर्थन नहीं करता हूं, अगर किसी की नागरिकता साबित नहीं होती है तो भी वो राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का अधिकारी है, वो शिक्षा का अधिकारी है, वर्क परमिट लेकर वह अपना तबतक जीविकोपार्जन कर सकता है जब तक कि हम बांग्लादेश और पाकिस्तान को इस बात के लिए राजी न कर दें कि वो अपने नागरिकों को वापस ले जाए." हेमंत बिस्वा ने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा करना भारत सरकार और राज्य सरकार का दायित्व है, और इसे ही हिन्दू सभ्यता कहा जाता है. उन्होंने कहा कि वे इन अधिकारों के प्रति सजग है और इसके लिए खड़े होते हैं.
मेहमान बन कर रह सकते हैं, नागरिक बनकर नहीं
असम सरकार के वित्त मंत्री हेमंत ने कहा कि लेकिन उनके पास राजनीतिक अधिकार नहीं होगा, वे वोट नहीं डाल पाएंगे, और वे इस देश के नागरिक नहीं बन पाएंगे. अधिक से अधिक वे इस देश के मेहमान बने रहेंगे, लेकिन नागरिक नहीं बन पाएंगे." हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि हम सभी लोग इस देश की न्यायपालिका का सम्मान करते हैं, हमें उन्हें बताना पड़ेगा कि डिटेंशन कैंप का विचार ठीक नहीं है.
भविष्य के लिए देश को सुरक्षित करने की जरूरत
एनआरसी और सिटीजनशिप बिल के जरिए राजनीतिक फायदे की बात को उन्होंने सिरे से नकार दिया. कार्यक्रम के दौरान हेमंत बिस्वा ने कहा कि नरेंद्र मोदी को चुनाव जीतने के लिए एनआरसी और सिटीजनशिप संशोधन बिल की जरूरत नहीं है. हेमंत ने कहा कि मोदी इतना पावरपुल ब्रांड है कि वे बिना एनआरसी और सिटीजनशिप अमेंडमेंट बिल के बिना भी 2024 का चुनाव जीत सकते हैं. उन्होंने कहा कि भविष्य की पीढ़ी के लिए इस देश को सुरक्षित करने की जरूरत है.
13 लाख आर्थिक घुसपैठियों की पहचान हुई
हेमंत शर्मा ने नागरिकता संशोधन बिल की चर्चा करते हुए कहा कि इस बिल के जरिए वैसे लोगों को नागरिकता दी जाएगी जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक रूप से सताये गए हैं. जब उनसे कहा गया है कि आखिर इस बिल से बाहर से आने वाले मुसलमानों को बाहर क्यों रखा गया है तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में किसी भी मुस्लिम को धार्मिक आधार पर नहीं सताया जाता है. एनआरसी के बारे में उन्होंने कहा कि 19 लाख लोग इसके दायरे से बाहर रहे. इनमें से तकरीबन 5 लाख 40 हजार बंगाली हिन्दू हैं. कुछ लोग असम के हैं जिनका नाम तकनीकी कारणों से छूट गया है. बाकी 13 लाख आर्थिक घुसपैठियों की पहचान एनआरसी के जरिए हुई है.