
सुप्रीम कोर्ट में आज रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद की सुनवाई शुरू होगी. वहीं इस मामले में नेताओं के बयान आने शुरू हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही राम मंदिर मुद्दे की सुनवाई पर सांसद साक्षी महाराज बोले कि ''राम मंदिर बनेगा, राम मंदिर जरुर बनेगा, राम जी तो सब का बेड़ा पार करते हैं, अपना कैसा नहीं करेंगे.'
वहीं शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इस मामले में कहा कि मस्जिद पक्ष हमेशा से इस मामले में भागने का काम कर रहा है. खबर मिली है कि वह एक बार डेट आगे बढ़ाने की मांग कर सकता है. ऐसे तो मामला नहीं हल होगा, उन्हें चाहिए कि वे अपने पक्ष में साक्ष्य जमा करें और कोर्ट पर भरोसा करके मामले को कोर्ट के निर्णय पर छोड़ दें.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट आज तय करेगा कि क्या इस मामले की सुनवाई रोजाना होगी या नहीं. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी. इससे पहले इस मामले की आखिरी सुनवाई 5 दिसंबर, 2017 को हुई थी. सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस.अब्दुल नजीर भी हैं.
राम मंदिर मामले के लिए हज़ारों पन्नों के दस्तावेजों का सात अलग-अलग भाषाओं और लिपियों में अनुवाद कर लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसम्बर को हुई पिछली सुनवाई के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश सरकार ने 53 खंडों में तमाम दस्तावेज़ों के अनुवाद कर लिए हैं. ये दस्तावेज़ संस्कृत, फ़ारसी, अरबी, पालि, उर्दू सहित सात भाषाओं या लिपियों में हैं.
सूत्रों की मानें तो शिया वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट से मांग करेगा कि मुख्य मामले की सुनवाई से पहले उसकी उसकी याचिका पर सुनवाई की जाए. अपनी याचिका में शिया वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत द्वारा 30 मार्च, 1996 को दिए उस फैसले को चुनौती दी है जिसके तहत ज़मीन का मालिकाना हक सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दिया गया था.
यूपी सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड इस बाबत कुछ हिंदू संगठनों के संपर्क में है. बोर्ड चाहता है कि कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई के दौरान ये संगठन उसका साथ दें. शिया वक़्फ़ बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक इस याचिका पर कोर्ट का फैसला उनके हक में आ जाता है तो मुख्य मामले की सुनवाई की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि वो विवादित जमीन पर से अपना मालिकाना हक छोड़ने के लिए तैयार है. वो भी इस शर्त के साथ कि जन्मस्थान पर राम मंदिर बने और मुस्लिम बहुल इलाके में मस्जिद बने.