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6 दिसंबर 1992 ही नहीं, आजादी के पहले भी हुआ था बाबरी मस्जिद पर अटैक

अयोध्या के विवादित स्थल पर पहले बाबरी मस्जिद थी. जिसे 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था. लेकिन, इस ढांचे पर सिर्फ इसी दिन हमला नहीं हुआ था. इतिहास में जिक्र है कि आजादी से पहले भी ढांचे पर हमला हुआ था.

1934 में अयोध्या में हुए सांप्रदायिक दंगों में बाबरी मस्जिद क्षतिग्रस्त हुई थी. (फोटोः इंडिया टुडे) 1934 में अयोध्या में हुए सांप्रदायिक दंगों में बाबरी मस्जिद क्षतिग्रस्त हुई थी. (फोटोः इंडिया टुडे)
ऋचीक मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST

  • 1934 में अयोध्या में बकरीद के दिन हुए थे दंगे
  • क्षतिग्रस्त मस्जिद की अंग्रेजों ने कराई थी मरम्मत
अयोध्या के विवादित स्थल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ दिन में आ सकता है. इसे लेकर देशभर में सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं. उत्तर प्रदेश में तो खास तैयारियां की गई हैं. यूपी के अधिकांश जिलों में तो धारा-144 लागू है. ये सारा मामला शुरु हुआ है अयोध्या के विवादित स्थल के विध्वंस से. यहां पहले बाबरी मस्जिद का ढांचा था. जिसे 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था. लेकिन, इस ढांचे पर सिर्फ इसी दिन हमला नहीं हुआ था. इतिहास में दर्ज है कि आजादी से पहले भी बाबरी मस्जिद के ढांचे पर कथित तौर पर हमला हुआ था.

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आइए जानते हैं 1933-34 के सांप्रदायिक दंगों की कहानी, जब मस्जिद पर हुआ था हमला

भारत के संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर की किताब 'Pakistan Or The Partition Of India' के सातवें अध्याय 'Hindu Alternative to Pakistan' के चौथे हिस्से में 'The riot-torn history of Hindu-Muslim relations, 1920-40' में अयोध्या समेत पूरे देश में हुए सांप्रदायिक दंगों के बारे में विस्तृत जानकारी दी हुई है.

डॉ. बीआर अंबेडकर की किताब जिसमें अयोध्या के दंगे का जिक्र है. (फोटोः कोलंबिया.एजु)

डॉ. अंबेडकर ने अपनी किताब में लिखा है कि 1933 से 34 तक पूरे अविभाजित भारत (आजादी से पहले का भारत) में होली, ईद और मुहर्रम के मौके पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इसके अलावा सालभर अलग-अलग मौकों पर दंगे होते रहे. होली में यूनाइटेड प्रोविंस (अब यूपी) के बनारस और कानपुर, पंजाब के लाहौर (अब पाकिस्तान में) और पेशावर में दंगे हुए. बकरीद के मौके पर अयोध्या में दंगे हुए. कहा जाता है कि अयोध्या के दंगे गोकशी के विरोध में हुए थे. इसके विरोध में बिहार के भागलपुर, ओडिशा (तब उड़ीसा) और मद्रास प्रोविंस (अब चेन्नई) के कन्नूर में दंगे हुए थे. डॉ. अंबेडकर की इस किताब में इस बात का विस्तृत वर्णन है कि 1920 से 1940 तक पूरे अविभाजित देश में सांप्रदायिक दंगे होते रहे.

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किताब का वह पैराग्राफ जिसमें अयोध्या के दंगे का जिक्र किया गया है.

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1933-34 के दंगों में बाबरी मस्जिद पर हुआ था पहला हमला

डॉ. भीमराव अंबेडकर कि किताब 'Pakistan Or The Partition Of India' के अलावा उस समय की अंग्रेजी सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग के दस्तावेजों में भी अयोध्या के दंगों की जिक्र है. हालांकि, डॉ. अंबेडकर कि किताब में सिर्फ अयोध्या के दंगों का जिक्र है, लेकिन उसमें बाबरी मस्जिद पर हुए हमले की कोई चर्चा नहीं है. जबकि, पीडब्ल्यूडी के दस्तावेजों में बाबरी मस्जिद पर हुए हमलों के बाद नुकसान का जिक्र है.

उस समय पीडब्ल्यूडी के दस्तावेजों में यह जिक्र है कि अंग्रेजी सरकार ने बाबरी मस्जिद के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत कराई थी. अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने पीडब्ल्यूडी की उस रिपोर्ट को भी रखा जिसमें यह बताया गया था कि 1934 के सांप्रदायिक दंगों में मस्जिद क्षतिग्रस्त हुई थी. उस समय अंग्रेजों का शासन था और पीडब्ल्यूडी विभाग का काम भी अंग्रेज ही देखते थे. उन्हीं ने मस्जिद के चारों ओर की दीवार और गुंबदों की मरम्मत कराई थी.

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6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ था अयोध्या में?

30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई. नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया. ये विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया. अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया. इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे. इसमें करीब 2000 लोगों के मारे गए.

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