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SC का आदेश, गोरक्षा के नाम पर हिंसा मामले में पीड़ितों को मिले मुआवजा, अलग याचि‍का दाखि‍ल करें

कोर्ट ने केंद्र सरकार समेत बाकी सभी राज्य सरकारों को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नोडल अधिकारी की बहाली और जिला स्तर पर कमेटी बनाये जाने के आदेश पर अमल की रिपोर्ट जमा करने को कहा है. कोर्ट ने 13 अक्टूबर से पहले यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कराने का आदेश दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
अंकुर कुमार/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST

गोरक्षा के नाम पर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट अब 31 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकारों से पूछा कि उनके आदेश पर अमल को लेकर क्या कदम उठाये गये हैं. इस पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया है.

कोर्ट ने केंद्र सरकार समेत बाकी सभी राज्य सरकारों को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नोडल अधिकारी की बहाली और जिला स्तर पर कमेटी बनाये जाने के आदेश पर अमल की रिपोर्ट जमा करने को कहा है. कोर्ट ने 13 अक्टूबर से पहले यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कराने का आदेश दिया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.

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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अदालत में इस मामले की सुनवाई के दौरान ही सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने गोरक्षकों के हाथों एक युवक जुनैद की हत्या का मामला उठाया. उसके पिता को रेलवे की तरफ से जल्द मुआवजा दिलाने की मांग की. इस पर अदालत ने कहा कि किसी भी घटना में पीड़ित को समय रहते मुआवजा देना किसी भी सरकार का दायित्व है. इस मामले में मुआवजा पर सुनवाई नहीं हो सकती. इसके लिए अलग से याचिका दाखिल करनी होगी.

याचिकाकर्ता तहसीन पूनावाला की ओर से कपिल सिब्बल ने दलील दी कि गोरक्षा के नाम पर गोपालकों द्वारा अल्पसंख्यक को सताने की घटनाओं में अब तक सरकारों का रवैया बहुत सकारात्मक नहीं रहा है. अधिकतर राज्यों ने इस बारे में कार्यपालन रिपोर्ट भी दाखिल नहीं की है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.

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आपको बता दें कि स्वयंभू गोरक्षक समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करेगा. याचिका, सामाजिक कार्यकर्त्ता तहसीन पूनावाला ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि‍ गोरक्षा के नाम पर कुछ लोग और ग्रुप्स पूरे देश में आतंक मचा रहे हैं जिसकी वजह से समाज में एक दुसरे समुदाय के बीच तल्खी पैदा की जा रही है. आलम ये हो गया है की खुद प्रधानमंत्री को इन स्वयंभू गोरक्षकों को फर्जी और समाज को तोड़ने वाला बताना पड़ा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गोरक्षा के नाम पर हिंसा बंद होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर राज्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए हर जिले में वरिष्ठ पुलिस पुलिस अफसर नोडल अफसर बने, जो यह सुनिश्चित करे कि कोई भी विजिलेंटिज्म ग्रुप कानून को अपने हाथों में न ले. अगर कोई घटना होती है तो नोडल अफसर कानून के हिसाब से कार्रवाई करें. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को डीजीपी के साथ मिलकर हाइवे पर पुलिस पेट्रोलिंग को लेकर रणनीति तैयार करने का आदेश दिया है.

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