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भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की मुसीबतें बढ़ सकती हैं. बीसीसीआई में सुधार के मामले पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश टी. एस ठाकुर ने कहा कि अनुराग ठाकुर पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है और वह जेल भी जा सकते हैं.
अनुराग ठाकुर ने की परजूरी
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) गोपाल सुब्रमण्यम से पूछा था कि क्या BCCI अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के खिलाफ परजूरी यानी कोर्ट में झूठे सबूत देने का मामला बनता है या नहीं? इस पर सुब्रमण्यम ने अपने जवाब में कहा कि ठाकुर पर यह मामला बनता है.
इससे नाराज चीफ जस्टिस ठाकुर ने सख्त रुख अपनाते हुए अनुराग ठाकुर पर अवमानना का केस चलाने और ठाकुर समेत बोर्ड के उच्च अधिकारियों को हटाने की चेतावनी दी. हालांकि कोर्ट ने इस मामले में आदेश सुरक्षित रखा है और उम्मीद है कि 2 या 3 जनवरी को फैसला सुनाया जा सकता है.
ठाकुर पर सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने का आरोप
दरअसल मामला यह है कि शशांक मनोहर जब बीसीसीआई अध्यक्ष थे, तब उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी का नामांकित अफसर सरकार का दखल माना जाएगा और इसके चलते बीसीसीआई, आईसीसी की सदस्यता को खो देगी. बाद में जब मनोहर आईसीसी के चेयरमैन बने तो इस संबंध में अनुराग ठाकुर ने उनसे एक पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की बात कहते हुए मनोहर ने ऐसा करने से मना कर दिया.
इस पर अनुराग ने कोर्ट में आकर कहा कि उन्होंने इस आशय की चिट्ठी मांगी ही नहीं. इस पर एमिकस क्यूरी सुब्रमण्यम ने कहा कि ये दोनों बातें अलग-अलग हैं. ठाकुर ने सुधार प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई है, लिहाजा उन पर परजूरी का मामला बनता है.
लोढ़ा कमेटी ने रखे हैं बीसीसीआई में सुधार के कई प्रस्ताव
बता दें कि लोढ़ा कमेटी बीसीसीआई की रूप-रेखा पूरी तरह से बदलना चाहती है. बीते साल जुलाई में जस्टिस लोढ़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा जारी किया था, जिसके बाद से बीसीसीआई में हलचल मची है. कमेटी बीसीबीआई में उम्रदराज अधिकारियों को नहीं चाहती और उसने प्रत्येक राज्य में एक ही क्रिकेट संघ स्थापित करने की सिफारिश की थी, जो बोर्ड पूर्ण सदस्य हों और उसे वोट देने का भी अधिकार हो. इसके अलावा पैनल की ऐसी और भी कई शर्ते हैं, जिन्हें बीसीसीआई मानने पर राजी नहीं हो पा रही है.