
भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े 5 वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा है कि अब वक्त आ गया है कि वह शहरी नक्सली मामले पर अपना रुख साफ करे.
शाह ने एक महीने पहले राहुल गांधी के ट्वीट को उन्हीं के अंदाज में जवाब देते हुए कहा कि मूर्खता की एकमात्र जगह है जिसे कांग्रेस कहते हैं. उसने भारत के 'टुकड़े टुकड़े गैंग', माओवादियों, नकली कार्यकर्ताओं और भ्रष्ट लोगों का समर्थन किया.
साल के पहले दिन हुए भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए इसमें दखल देने से मना कर दिया, साथ ही पुलिस को अपनी जांच आगे बढ़ाने को कहा गया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद पांचों कार्यकर्ता सेशंस कोर्ट में जमानत की अपील दायर कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुणे पुलिस अपनी जांच आगे बढ़ा सकती है. ये मामला राजनीतिक मतभेद का नहीं है. साथ ही ने पांचों गिरफ्तार विचारकों की नजरबंदी को 4 हफ्ते के लिए और बढ़ा दिया है.
देश की शीर्ष अदालत का फैसला आते ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया. उन्होंने कहा, जिन लोगों ने राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व को राजनीतिकरण करते हुए कमतर करने की कोशिश की, सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले से वो पर्दाफाश हो गए हैं. यह सही समय है कि कांग्रेस को शहीर नक्सलवाद मामले पर अपना रुख साफ करना चाहिए.
कोर्ट के फैसले के बाद शाह ने ताबड़तोड़ 3 ट्वीट किए. अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि भारत में मजबूत लोकतंत्र बहस की स्वस्थ परंपरा, चर्चा और असहमति जताने के कारण है. हालांकि देश के खिलाफ साजिश करना और अपने नागरिकों को नुकसान पहुंचाने की भावना इसमें शामिल नहीं है. जिन लोगों ने राजनीतिकरण की कोशिश की उन्हें माफी मांगनी चाहिए.
बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी कहा कि आज का फैसला ऐतिहासिक है और इस संबंध में कांग्रेस का स्टैंड पर्दाफाश हो गया है और राहुल गांधी भी इस मामले में समर्थन कर रहे थे. यह राहुल गांधी के लिए शर्मनाक है. कांग्रेस और राहुल गांधी मामले पर सफाई दें और अपनी स्थिति स्पष्ट करें.
सुप्रीम कोर्ट में पांचों विचारकों की तत्काल रिहाई और इस प्रकरण पर जांच के लिए SIT के गठन की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी. पांचों कार्यकर्ता वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं.
भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में गिरफ्तार 5 विचारकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस मामले में दखल देने से मना कर दिया. साथ ही पुलिस को अपनी जांच आगे बढ़ाने को कहा. कोर्ट के इस फैसले के बाद पांचों कार्यकर्ता सेशंस कोर्ट में जमानत की अपील दायर कर सकते हैं. सुधा भारद्वाज और वरवरा राव के बेटे जल्द ही अपील दायर कर सकते हैं.