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INSIDE STORY: इस तरह जातीय हिंसा में बदल गई 200 साल पुरानी जंग की बरसी

पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार 29 दिसंबर को वाडेबुडरुक गांव में गणेश महार की समाधि को राइट विंग द्वारा छतिग्रस्त कर दिया गया था. दलित गणेश महार ने ही छत्रपति शि‍वाजी के बेटे सांभाजी का अंतिम संस्कार किया था.

औरंगाबाद में हिंसक झड़प औरंगाबाद में हिंसक झड़प
अंकुर कुमार/साहिल जोशी
  • पुणे,
  • 03 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:17 AM IST

भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह पर हुई हिंसा से पूरे महाराष्ट्र में तनाव का माहौल है. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई थी. सरकार ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं इसके बावजूद भी पूरे राज्य में हालात नहीं सुधर रहे हैं. वहीं पुलिस की शुरुआती जांच में हिंसक झड़पों में भगवा झंडा लिए लोगों के शामिल होने की बात कही गई है. वहीं पुलिस के अनुसार विवाद 29 दिसंबर की रात से शुरू हुआ था.

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सूत्रों के अनुसार पुलिस की शुरुआती जांच से पता चला है कि 29 दिसंबर को वाडेबुडरुक गांव में गणेश महार की समाधि को राइट विंग द्वारा क्षतिग्रस्त कर दिया गया था. दलित गणेश महार ने ही छत्रपति शि‍वाजी के बेटे सांभाजी का अंतिम संस्कार किया था. स्थानीय पुलिस ने इस विवाद को हल कर लिया था. हालांकि इस संबंध में 1 जनवरी को कुछ लोगों ने प्रदर्शन मार्च किया. पुलिस को अभी उन लोगों की जानकारी हासिल नहीं हुई है. हालांकि शुरुआती जांच में पुलिस को पता लगा है कि भीमा कोरेगांव के जश्न में दलित अपने बच्चों और महिलाओं के साथ सरीक होने आए थे और उनके पास कोई हथियार नहीं थे. घटना में घायल लोगों के घाव भी इस बात के सबूत हैं कि उनकी तरफ से कोई भी घातक हथियार इस्तेमाल नहीं हुआ.

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ऐसे में पुलिस का शुरुआती जांच में दावा है कि हिंसक झड़पों में दलितों का हाथ नहीं है. वहीं शुरुआती जांच में यह पता लगा है कि भगवे झंडे के साथ भी मार्च उसी समय किया गया जब दलितों का जश्न चल रहा था. वहीं जब दोनों दल आमने सामने हुए तो पत्थरबाजी हुई और हिंसक झड़पों की शुरुआत हुई. पुलिस उस ग्रुप के नेताओं का पता लगवाने में जुटी है, जिन्होंने भगवे झंडे का साथ मार्च किया और भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा में जिनका हाथ रहा.

आपको बता दें कि पुणे हिंसा की आग मुंबई तक पहुंच गई है. पुणे में हुई जातीय हिंसा का असर महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में भी देखा जा रहा है. मंगलवार को मुंबई के अलावा, हड़पसर व फुरसुंगी में सरकारी और प्राइवेट बसों पर पथराव किया गया. लगभग 134 महाराष्ट्र परिवहन की बसों को नुकसान पहुंचा है. हिंसा की वजह से औरंगाबाद और अहमदनगर के लिए बस सेवा निरस्त कर दी गई थी. मंगलवार शाम चार बजे के बाद पुणे से अहमदनगर के बीच सभी बस सेवाएं बहाल हो गईं. साथ ही प्रदर्शन की वजह से मुंबई का ईस्टर्न हाइवे भी कई घंटों तक जाम रहा. डीजीपी गणेश शिंदे ने बताया कि भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में पुणे के पिंपरी पुलिस स्टेशन में 2 लोगो के खिलाफ केस दर्ज किया गया है.

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