
ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के जवाब दाखिल करने के बाद बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन, रविशंकर प्रसाद और सैयद जाफर इस्लाम ने 'आज तक' से बातचीत की. तीनों ही नेताओं ने केंद्र सरकार के जवाब का समर्थन किया. बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि 'हमारी सरकार ने धर्म के आधार पर महिलाओं के अधिकारों को नहीं बांटा है.' वहीं रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक को शरिया कानून के खिलाफ बताय.
शाहनवाज हुसैन बोले कि 'हमारी सरकार से ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक पर उसका पक्ष मांगा था. सरकार ने अपना पक्ष रखा है. हम किसी भी विषय को धार्मिक चश्मे से नहीं देखती हैं. हमारी सरकार महिलाओं का सम्मान करती है. हमारी सरकार महिलाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.'
'कांग्रेस बहुत कन्फ्यूज पार्टी है'
शाहनवाज हुसैन ने कांग्रेस की बयानबाजी पर भी निशाना साधा और कहा कि 'कांग्रेस बहुत ही कन्फ्यूज पार्टी हो गई है. कांग्रेस एक विषय पर हर घंटे अपना बयान बदलती है. इसलिए यह नहीं पता चलता है कि कांग्रेस का कौन सा बयान है और कौन सा बनाय मनीष तिवारी का निजी बयान है.'
'भारत में सबको समान अधिकार'
रवि शंकर प्रसाद ने 'आज तक' से कहा कि पीड़ित मुस्लिम महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक के खिलाफ अपील की थी. मुस्लिम महिलाओं सम्मान में सरकार ने अपना फैसला लिया है. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां पर सभी को समान अधिकार है. इसलिए सरकार ने लिंग भेद के खिलाफ जाकर यह कदम उठाया है. भारत के अलावा भी डेढ़ दर्जन से ज्यादा मुस्लिम देशों ने अपने ट्रिपल तलाक कानून को लेकर बदलाव किए हैं. इसमें पाकिस्तान, ईरान और बांग्लादेश जैसे देश भी हैं. अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है.
'मुस्लिम समुदाय की महिलाओं ने ही मुहिम छेड़ी'
बीजेपी प्रवक्ता सईद जफर इस्लाम ने बताया कि 'मुस्लिम समुदाय की महिला संगठन ने ही ट्रिपल तलाक के खिलाफ अवाज उठाई है. सरकार ने भी मुस्लिम महिला संगठनों की बात को मानते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है. यह शरिया कानून पर हमला नहीं है. ये मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ा फैसला है. मैं अपने धर्म गुरुओं को कहना चाहता हूं कि दूसरे मुस्लिम देशों को भी देखें कि वहां भी समय के हिसाब से बदलाव हुए हैं. हमारे धर्मगुरु अगर शरिया कानून को मानते हैं तो उन्हें शरिया कानून में आपराधिक कानून को भी मानना चाहिए लेकिन वे ऐसा नहीं करते हैं.'