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केरल की रस्साकशी: क्या 55% हिंदू आबादी वाले 'लाल गढ़' को भगवा में बदल पाएगी BJP?

संघ परिवार ने भी CPM के गढ़ में सेंध लगाने के लिए अभियान तेज कर दिया है. केरल की 54.7 फीसदी आबादी भी हिंदुओं की है. हालांकि CPM के गढ़ में बीजेपी के लिए अभी कई चुनौतियां हैं. पिछले केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक सीट जीतकर सूबे में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर चुकी है.

केरल में राजनीतिक हत्याओं के खिलाफ जनरक्षा यात्रा में अमित शाह (फाइल फोटो) केरल में राजनीतिक हत्याओं के खिलाफ जनरक्षा यात्रा में अमित शाह (फाइल फोटो)
जीमोन जैकब
  • कन्नूर,
  • 14 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 4:25 PM IST

भारत के सबसे शिक्षित राज्य केरल में भगवा दल अपनी पैठ जमाने की पुरजोर कोशिश में जुटा हुआ है. बीजेपी को उम्मीद है कि वह आगामी चुनाव में केरल की लाल जमीन को भगवा में तब्दील करने में कामयाब होगी. इसी के मद्देनजर सीपीएम के खिलाफ जनसमर्थन हासिल करने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने केरल में 3 अक्टूबर को 14 दिवसीय जनरक्षा यात्रा की शुरुआत की.

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इस यात्रा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो चुके हैं. जनरक्षा यात्रा के दौरान योगी ने खुलेआम ऐलान किया था कि हम केरल की लाल जमीन को भगवा में तब्दील कर देंगे. उन्होंने कहा था कि वामपंथी बंदूक की नोक पर सत्ता हासिल करना चाहते हैं. बीजेपी राज्य के अगले चुनाव में नंबर 1 न सही, कम से कम सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आना चाहती है. इसके लिए उसने अभी से रणनीति बना ली है. संघ परिवार ने भी सीपीएम के गढ़ में सेंध लगाने के लिए अभियान तेज कर दिया है.

केरल की 54.7 फीसदी आबादी भी हिंदुओं, 26.7 फीसदी मुस्लिमों और 18.4 फीसदी आबादी ईसाइयों की है. यहां हिंदुओं की संख्या काफी ज्यादा है, लेकिन इसके बावजूद CPM के गढ़ में बीजेपी के लिए अभी कई चुनौतियां हैं. लेफ्ट दल भी अपनी साख बचाने के लिए बीजेपी के खिलाफ जोरशोर से अभियान चला रहे हैं.

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एक सीट जीतकर शुरू कर दी है राजनीतिक पार्टी

पिछले केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक सीट जीतकर सूबे में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर चुकी है. इससे पहले बीजेपी को यहां किसी भी तरह की उम्मीद नहीं दिख रही थी. हाल ही में केरल में राजनीतिक हिंसा को लेकर चर्चा गरमाई हुई है. RSS और बीजेपी लगातार CPM पर राजनीतिक हिंसा का आरोप लगा रहे हैं. भगवा दल वोटों के ध्रुवीकरण के लिए लव जिहाद और लाल आतंक के नाम पर लेफ्ट के खिलाफ मजबूती से अभियान चला रहा है.

CM के गढ़ में सबसे ज्यादा भगवा कार्यकर्ताओं की हत्या

उत्तर केरल के कन्नूर में RSS और CPM के बीच पिछले चार दशक से संघर्ष चल रहा है. इसे केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन का गढ़ माना जाता है. बीजेपी का आरोप है कि केरल में सबसे ज्यादा RSS और बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्याएं कन्नूर में हुईं. यहां पर जनरक्षा यात्रा के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लव जिहाद को लेकर सूबे की सरकार पर जमकर हमला बोला. साथ ही लव जिहाद के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की.

BJP ने लव जिहाद और हत्याओं के लिए लेफ्ट सरकार को ठहराया जिम्मेदार

हाल के दिनों में बीजेपी और संघ परिवार ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्याओं और लव जिहाद के लिए सूबे की लेफ्ट सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. बीजेपी और आरएसएस का कहना है कि साल 2001 से अब तक केरल में राजनीतिक हिंसा में उसके 125 कार्यकर्ताओं की जान जा चुकी है. बीजेपी की जनरक्षा यात्रा भी सूबे में अपना विस्तार करने की रणनीति का ही हिस्सा है. बीजेपी को उम्मीद है कि वह केरल में लेफ्ट के खिलाफ अभियान चलाकर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आ सकती है.

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संघ ने 5 साल में किया रिकॉर्ड विस्तार

मामले में बीजेपी एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि केरल में पार्टी के मौजूदा अभियान से CPI(M) पहले ही हिल गई है. हम पार्टी और सहयोगी संगठनों को मजबूत करके लेफ्ट के गढ़ में सेंध लगाएंगे. RSS के प्रांत प्रचारक पी गोपालन कुट्टी मास्टर ने बताया कि सूबे में हमारे दो लाख सक्रिय कार्यकर्ता और एक लाख 93 हजार समर्थक हैं. साथ ही RSS की 5200 डेली शाखाएं और 800 सप्ताहिक शाखाएं हैं.

RSS प्रांत प्रचारक का कहना है कि महज पांच साल में ही संघ ने यहां इतना विस्तार किया है. साथ ही RSS से काफी संख्या में छात्र और अन्य युवा तेजी से जुड़ रहे हैं. खास बात यह है कि केरल में सबसे ज्यादा RSS कार्यकर्ता कन्नूर में हैं. इसके बाद अलाप्पुझा और थ्रिस्सूर का स्थान आता है. इसके अलावा संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने कांग्रेस से जुड़े INTUS को उखाड़ फेंकने में मदद कर रहा है. इससे बीजेपी को आगे बढ़ने में मदद मिली है.

RSS को हिंदुओं के संरक्षक के रूप में प्रोजेक्ट करने की कोशिश

राजनीतिक कमेंटेटर जे अजीत कुमार का कहना है कि RSS को सूबे में हिंदुओं के एक धड़े को आकर्षित करने में कामयाबी मिली है, जिससे यहां बीजेपी के लिए जमीन तैयार हो रही है. भगवा दल RSS को हिंदुओं के इकलौते संरक्षक के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकता है, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा हिंदुओं को अपनी ओर आकर्षित कर सके.

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