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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने तीन तलाक पर बीजेपी की तरफ से लाए गए अध्यादेश को राजनीति से प्रेरित बताया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि नोटबंदी और जीएसटी की तरह ही तीन तलाक के मामले में भी केंद्र सरकार के अपरिपक्व और अड़ियल रवैये से पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की समस्याएं आसानी से हल होने वाली नहीं हैं.
केंद्र सरकार का अपरिपक्व और अड़ियल रवैया
केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक अध्यादेश लाकर इसे अपराध घोषित करने पर मायावती ने कहा कि बीजेपी इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों पर भी स्वार्थ की राजनीति करके अब चुनाव के समय लोगों का ध्यान अपनी कमियों से हटाना चाहती है. इस दौरान बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि नोटबंदी और जीएसटी की तरह ही तीन तलाक के मामले में भी केंद्र सरकार अपरिपक्व और अड़ियल रवैया अपना रही है. इससे पीड़ित मुस्लिम महिलाओं की समस्याएं आसानी से हल होने वाली नहीं हैं.संघ का कार्यक्रम राजनीति से प्रेरित
इसके अलावा मायावती ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली में तीन दिवसीय कार्यक्रम पर भी जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि यह पूरा कार्यक्रम राजनीति से प्रेरित है. इस कार्यक्रम का मकसद चुनाव से पहले BJP और केंद्र सरकार की तमाम कमियों को छुपाना और संघ को अपने एजेंडे के बारे में बात करना था. इसकी कोशिश सरकार की कमियों, विफलताओं और देश की बड़ी समस्याओं से ध्यान हटाकर दूसरी तरफ ले जाना है.
भाजपा की सरकार गरीबों, मजदूरों और किसानों की विरोधी
मायावती ने कहा कि भाजपा की सरकार गरीबों, मजदूरों और किसानों की विरोधी है. यह सरकार बड़े-बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों की समर्थक है. संघ को आड़े हाथों लेते हुए मायावती ने कहा कि धन्नासेठों की तरह RSS ने भी बीजेपी की जीत के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है. इसीलिए भ्रष्टाचार के मुद्दों पर इन्हें जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ा है. मायावती ने RSS के उस बयान पर भी टिप्पणी की जिसमें कहा गया था कि ‘राम जन्मभूमि पर मंदिर बने और अगर मुसलमान इसे खुद बनवाते हैं तो बरसों से उन पर उठी उंगलियां झुक जाएंगी. ’
संघ प्रमुख के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मायावती ने कहा कि बसपा इस सोच से बिल्कुल भी सहमत नहीं है. उन्होंने कहा कि चाहे जितने मंदिर बन जाए संकीर्ण संघी हिंदुओं और मुसलमानों के बीच रिश्ते सामान्य होने वाले नहीं हैं क्योंकि इनकी बुनियादी सोच और मानसिकता दलित- मुस्लिम और अल्पसंख्यक विरोधी है. इसी वजह से बीजेपी के राज में हर तरह से भेदभाव, हिंसा और हत्या का बोलबाला है.
मायावती ने संघ को सलाह दी कि उसको सबसे पहले अपने नफरत और सांप्रदायिक सोच को बदल कर संविधान के तहत मानवीय बनना होगा जो आज तक ये लोग कर ही नहीं पाए हैं. इसीलिए समाज में उनकी स्वीकार्यता का अभाव बना हुआ है. संघ को आड़े हाथों लेते हुए मायावती ने यह भी कहा कि अगर उनकी सोच और मानसिकता इतनी ही मानवीय, संवैधानिक और जनहित के लिए होती तो आजादी के बाद तीन बार प्रतिबंधित नहीं होना पड़ता.