
सोमवार को संसद में बजट सत्र शुरू होते ही दोनों सदनों में उत्तराखंड के मुद्दे पर हंगामा हुआ. लोकसभा में कांग्रेस सांसद वेल में पहुंच गए तो विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे स्पीकर के पास जाकर बैठ गए. जबकि गृह मंत्री ने राज्य के हालात के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि केंद्र सरकार का उत्तराखंड मामले से कोई लेना-देना नहीं है. वहां की जो भी स्थिति है वह कांग्रेस की आंतरिक समस्या की वजह से हैं. लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बाद सदन को तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया.
राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित
राज्यसभा में भी कांग्रेसी सांसदों ने उत्तराखंड का मुद्दा उठाया. उत्तराखंड पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सांसदों ने लोकसभा में 'केंद्र सरकार होश मे आओ' के भी नारे लगाए. हंगामे के बाद सदन को 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया.
PM मोदी ने की सहयोग की अपील
इससे पहले संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से सहयोग की अपील की है. प्रधानमंत्री ने सदन में जाने से पहले मीडिया से बात की. उन्होंने कहा, 'हमें भरोसा है कि इस सत्र में भी अच्छे फैसले लिए जाएंगे. जैसा कि पिछले सत्र में हुआ.'
उन्होंने कहा कि विपक्ष से सहयोग की उम्मीद की जा रही है. वह सदन को चलाने में मदद करेंगे और उत्साहपूर्ण चर्चा करते हुए सत्र को आगे बढ़ाएंगे.
सोमवार से शुरू होने जा रहा संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग एक बार फिर हंगामे की भेंट चढ़ सकता है. उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे के सबसे ज्यादा गरमाने के आसार हैं.
सर्वदलीय बैठक में उठा उत्तराखंड का मुद्दा
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, ताकि वो संसद की सुचारू कार्यवाही को सुनिश्चित कर सकें. लेकिन बैठक में कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू जैसी पार्टियों ने उत्तराखंड के मुद्दे को उठाया. यानी साफ हो गया है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर सदन में सरकार को घेरने के लिए तैयार है.
कांग्रेस का साथ देते हुए आरजेडी, एनसीपी, जेडीयू और लेफ्ट ने कहा कि लोकसभा में सबसे पहले उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन को लेकर चर्चा होनी चाहिए. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, एक तरफ संविधान और उसके निर्माता बी.आर. अंबेडकर की 125वीं जयंती मनी और दूसरी तरफ अरुणांचल के बाद उत्तराखंड में लोकतंत्र की हत्या की गई, हम सभी काम रोक कर सदन में चर्चा चाहते हैं.
लोकसभा स्पीकर ने किया चर्चा कराने से इनकार
बैठक के बाद सरकार की तरफ से संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने साफ कहा कि, फैसला तो स्पीकर करेंगी, लेकिन उत्तराखंड का मामला फिलहाल अदालत में चल रहा है, 27 अप्रैल को सुनवाई है, इसलिए फिलहाल इस मसले पर चर्चा कराना सही नहीं होगा. सरकार के इस बयान के बाद स्पीकर ने भी साफ कहा कि, मामला अदालत में चल रहा है, ऐसे में चर्चा कराना संभव नहीं है. इससे साफ हो गया है कि सोमवार को संसद में इस मसले को लेकर हंगामा है.
हरीश रावत ने जताई समर्थन की उम्मीद
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति शासन के मुद्दे को संसद में उठाया जाएगा. रावत ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि संसद में सभी लोकतांत्रिक ताकतें साथ मिलकर हम पर लगे राष्ट्रपति शासन के खिलाफ आवाज उठाएंगी.' हरीश रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में राष्ट्रपति शासन को चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने फैसला रावत के हक में सुनाते हुए राष्ट्रपति शासन को हटा दिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और राज्य में फिर से राष्ट्रपति शासन लागू हो गया.
वेंकैया ने कहा- सरकार चर्चा के लिए तैयार लेकिन..
संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि संसद में हंगामा होगा क्योंकि ये बजट सत्र का दूसरा हिस्सा है. उन्होंने कहा, 'सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन अगर कोई उस मुद्दे पर बात करना चाहता है, जो सुप्रीम कोर्ट में चल रहा तो नियम इसकी अनुमति नहीं देते. सरकार सूखे पर चर्चा करना चाहती है और इस पर काम किया गया है. हम सुझावों पर काम करेंगे.' विजय माल्या के बारे में नायडू ने कहा कि सरकार उन्हें भारत वापस लाने के लिए गंभीर है और चाहती है कि वो बैंकों का पैसा लौटाएं.
इन मुद्दों पर भी हो सकती है बहस
विधानसभा चुनाव के चलते टीएमसी, एआईएडीएमके और डीएमके का कोई नेता बैठक में मौजूद नहीं था. हालांकि, सरकार की नजर टीएमसी, एआईएएमके और बीजेडी जैसे दलों पर है, जो मौके पर उसकी नैया पार लगा सकें. कांग्रेस समेत बाकी विपक्षी दलों ने सूखा , जलसंकट , किसानों की समस्या, मंहगाई और गंगा की सफाई का मुद्दा उठाया और चर्चा की मांग की. आरजेडी सांसद जेपी यादव ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा के मुद्दे पर चर्चा की वकालत की. इसके अलावा दिल्ली में ऑड-इवन का मुद्दा भी संसद में उठ सकता है.