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जानें वो पांच मुद्दे, जिनकी वजह से हंगामे की भेंट चढ़ा पूरा सत्र

बजट सत्र के पहले भाग में लोकसभा की 7 बैठकों की उत्पादकता 134 प्रतिशत थी और राज्यसभा की 8 बैठकों की उत्पादकता 96 प्रतिशत रही. लेकिन इसके उलट दूसरे भाग में लोकसभा की उत्पादकता 4 प्रतिशत रही जबकि राज्यसभा की उत्पादकता 8 प्रतिशत रही.

संसद परिसर में सांसदों का प्रदर्शन संसद परिसर में सांसदों का प्रदर्शन
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST

संसद के बजट सत्र का समापन हो चुका है लेकिन उत्पादकता के नाम पर ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ. यह बजट सत्र 29 फरवरी से शुरू हुआ था और 6 अप्रैल को खत्म हो गया. इस दौरान लोकसभा की कुल 29 बैठकें और राज्यसभा की 30 बैठकें हुईं लेकिन दो भाग में बंटे इस सत्र का दूसरा हिस्सा पूरी तरह से हंगामे की भेंट चढ़ गया.

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बजट सत्र के पहले भाग में लोकसभा की 7 बैठकों की उत्पादकता 134 प्रतिशत थी और राज्यसभा की 8 बैठकों की उत्पादकता 96 प्रतिशत रही. लेकिन इसके उलट दूसरे भाग में लोकसभा की उत्पादकता 4 प्रतिशत रही जबकि राज्यसभा की उत्पादकता 8 प्रतिशत रही. पूरे सत्र को मिलाकर लोकसभा की उत्पादकता 23 प्रतिशत और राज्यसभा की उत्पादकता 28 प्रतिशत रही.

आंकड़ों से साफ है कि पहले हिस्से में जितना कामकाज हुआ दूसरे हिस्से में हुए हंगामे ने उसके अच्छे रिकॉर्ड को भी प्रभावित किया. दूसरे हिस्से में गतिरोध के कई ऐसे मुद्दे थे जिनकी कीमत बजट सत्र को चुकानी पड़ी. जान लेते हैं वह मुद्दे जिनकी वजह से धुल गया संसद का पूरा बजट सत्र.

आंध्र के लिए विशेष राज्य की मांग

सत्र के दूसरे हिस्से की शुरुआत से ही टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के सांसद आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर अड़े रहे. लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही वेल में आकर सांसदों का हंगामा रुटीन बन गया था. यही नहीं दोनों पार्टियां केंद्र सरकार के खिलाफ बीते 15 दिन से अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश भी कर रहीं थीं लेकिन हंगामे की वजह से एक भी बार प्रस्ताव नहीं रखा जा सका. संसद परिसर में भी टीडीपी लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करती रही. पार्टी का आरोप है कि इस बजट में सरकार ने आंध्र के साथ वादाखिलाफी की है और राज्य की जरूरतों के मुताबिक फंड नहीं दिया गया है.

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कावेरी प्रबंधन बोर्ड

कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर AIADMK सांसदों ने दोनों सदनों में जोरदार हंगामा किया. पार्टी ने राज्यसभा में कई बार स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की. लेकिन सदन में हंगामे की वजह से किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकी. तमिलनाडु के सांसदों ने तो आत्महत्या करने की धमकी तक दे डाली थी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 फरवरी को दिए अपने फैसले में राज्य में कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की बात कही थी. बोर्ड के गठन में हो रही देरी के विरोध में राज्य में भी लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं.

पीएनबी घोटाला

सत्र की शुरुआत से ही कांग्रेस, टीएमसी समेत अन्य विपक्षी दल पीएनबी घोटाले पर वोटिंग वाले नियम 52 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा चाहते थे. लेकिन सरकार इसपर तैयार नहीं थी. सरकार चर्चा के लिए राजी तो थी लेकिन नियम 193 के तहत, जिसमें सिर्फ बहस हो सकती है लेकिन वोटिंग नहीं की जा सकती. दोनों सदनों में इस मुद्दे पर हंगामा होता रहा लेकिन बहस किसी भी नियम के तहत नहीं हो सकी. हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पर 12000 करोड़ रुपए के इस बैंक घोटाले का आरोप हैं और दोनों ही देश छोड़कर फरार हो चुके हैं. ईडी लगातार उनकी संपत्ति को जब्त कर रही है.

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सीबीएसई पेपर लीक

देश के सबसे बड़े शिक्षा बोर्ड सीबीएसई के पेपरलीक का मुद्दा भी आखिरी दिनों में गतिरोध की वजह बना. 12वीं क्लास के इकोनॉमिक्स और 10वीं के गणित का पेपर लीक होने के विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार से जवाब चाहता था. इस मुद्द पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस भी दिया गया था लेकिन हंगामे की चलते चर्चा एक भी दिन नहीं हो सकी. पेपरलीक के बाद बोर्ड ने 10वीं के छात्रों को राहत देते हुए दोबारा परीक्षा न कराने का फैसला लिया गया है जबकि दिल्ली-हरियाणा में पढ़ने वाले 12वीं के छात्रों को 25 अप्रैल को इकोनॉमिक्स की परीक्षा देनी होगी.

SC/ST एक्ट पर घमासान

एससी/एसटी कानून में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों का देशव्यापी बंद बुलाया था. इस मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में भी गतिरोध रहा. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया वहीं सरकार ने भी संसद में साफ किया कि वह कानून को कमजोर नहीं बल्कि मजबूती देने के लिए प्रतिबद्ध है. सत्र के आखिरी में 3-4 दिन इस मुद्दे पर दोनों सदनों में जोरदार हंगामा देखने को मिला. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एससी/एसटी एक्ट में कई बदलाव हुए थे. केंद्र सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि उसने अदालत में इस मामले में मजबूती से पक्ष नहीं रखा. हालांकि, सरकार ने अब इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है.

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