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बवाल ही बवालः मोदी सरकार के लिए आज चौतरफा मुश्किलों से भरा दिन

मोदी सरकार के लिए 2019 के चुनाव में यह सभी मुद्दे बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं. विपक्षी दल लगातार इन मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं और जनता से जुड़े इन जरूरी विषयों पर आम लोगों के बीच भी नाराजगी का माहौल है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

केंद्र में सत्ताधारी मोदी सरकार को 4 साल हो चुके हैं. जैसे-जैसे 2019 के आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. विपक्षी तो सरकार से नाराज है हीं, लेकिन अब सहयोगी से लेकर समाज के बड़े तबके ने भी सड़कों पर उतरकर मोर्चा खोल दिया है.

आज की तारीख को ही देखा जाए तो सरकार विभिन्न मुद्दों पर घिरी हुई है. एक ओर SC/ST कानून में बदलाव के खिलाफ दलित संगठन सड़कों पर उतरे हुए हैं. वहीं पेट्रोल-डीजल के दामों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी पर भी सरकार के खिलाफ गुस्सा है. इसके अलावा पेपर लीक, कश्मीर में जवानों की शहादत, इराक में भारतीयों की हत्या, पीएनबी घोटाला, कावेरी विवाद और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर संसद से सड़क तक सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं.

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सड़कों पर दलित संगठन

एससी/एसटी कानून में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों का देशव्यापी बंद जारी है. देश के अलग-अलग शहरों में दलित संगठन और उनके समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं. कई जगह ट्रेनें रोकी गई हैं. इसके अलावा कुछ शहरों में झड़प की घटनाएं भी सामने आई हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एससी/एसटी एक्ट में कई बदलाव हुए थे. केंद्र सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि अदालत में इस मामले पर मजबूती से पक्ष नहीं रखा गया. हालांकि, सरकार ने अब इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है.

पेट्रोल-डीजल ने निकाला तेल

पेट्रोल-डीजल के दामों में हुई बढ़ोतरी ने भी आम जनता से लेकर कारोबारियों की मुश्किल बढ़ा दी हैं. नए वित्त वर्ष की शुरुआत आम आदमी के लिए महंगाई के नए झटके के साथ हुई है. पहले ही दिन यानी 1 अप्रैल को पेट्रोल-डीजल के दामों में रिकॉर्ड उछाल ने आम आदमी पर महंगाई की दोहरी मार डाल दी. पेट्रोल की कीमतें चार साल में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं जबकि डीजल ने जेब पर अब तक का सबसे बड़ा डाका डाल दिया. इस मुद्दे को लेकर जनता के मन में सरकार के खिलाफ रोष है.

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कश्मीर में जवानों की शहादत

जम्मू कश्मीर के शोपियां में बीते दिन हुए एनकाउंटर में सेना के 3 जवान शहीद हो गए हैं. हालांकि ऑपरेशन में 11 आतंकियों को भी मार गिराया गया है. घाटी में जवानों की शहदात रुकने का नाम नहीं ले रही है, सरकार की तमाम कोशिश के बावजूद सीजफायर से लेकर आतंकी घुसपैठ लगातार बढ़ती जा रही है. इसे लेकर न सिर्फ जम्मू कश्मीर की आम जनता को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है बल्कि देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर भी सरकार की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं.

पेपर लीक से अधर में भविष्य

देश के सबसे बड़े शिक्षा बोर्ड सीबीएसई के पेपर लीक से लाखों छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटक गया है. 12वीं क्लास के इकोनॉमिक्स और 10वीं के गणित का पेपर लीक होने के बाद इस परीक्षा को रद्द कर दिया गया और अब छात्रों को दोबारा इन विषयों के परीक्षा देनी होगी. पेपर लीक से न सिर्फ छात्रों में बल्कि उनके परिजनों में भी सरकार के खिलाफ गुस्सा है. इस मुद्द पर लोकसभा में आज स्थगन प्रस्ताव का नोटिस भी दिया गया था और विपक्ष पेपर लीक पर सरकार को लगातार घेर रहा है.

आंध्र और कावेरी का मुद्दा

उत्तर भारत की बाद दक्षिण में तमिलनाडु के दल सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी किए हुए हैं. कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर लगातार संसद के भीतर और बाहर AIADMK का प्रदर्शन जारी है. इसके अलावा आंध्र के लिए विशेष दर्जे की मांग भी सरकार के लिए गले की फांस बन चुकी हैं. टीडीपी नाराज होकर सरकार का साथ छोड़ चुकी हैं और लोकसभा में लगातार अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे रही है.

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मोदी सरकार के लिए 2019 के चुनाव में यह सभी मुद्दे बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं. विपक्षी दल लगातार इन मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं और जनता से जुड़े इन जरूरी विषयों पर आम लोगों के बीच भी नाराजगी का माहौल है. सरकार को सभी मुद्दों पर जवाब देना है और जनता के गुस्से को शांत करना उसके लिए किसी मुश्किल से कम नहीं है.

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