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मुहर्रम के दिन मूर्ति विसर्जन से रोक हटी, हाई कोर्ट ने पलटा ममता सरकार का फैसला

पश्चिम बंगाल में मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट ममता सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि प्रतिबंध लगाना सबसे आखिरी विकल्प है.

मूर्ति विसर्जन को लेकर विवाद मूर्ति विसर्जन को लेकर विवाद
इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 21 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

पश्चिम बंगाल में मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट से बंगाल की ममता सरकार को झटका लगा है. HC ने मूर्ति विसर्जन पर राज्य सरकार का फैसला पलट दिया है. कोर्ट ने मुहर्रम के दिन मूर्ति विसर्जन से रोक को हटा दिया है.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पहले की तरह रात 12 बजे तक विसर्जन किया जा सकता है. पुलिस को इसके लिए व्यवस्था करनी होगी. हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा है कि वह दोनों कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग रूट तैयार करें.

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इससे पहले गुरुवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रतिबंध लगाना सबसे आखिरी विकल्प है. कोर्ट ने कहा कि आखिरी विकल्प का इस्तेमाल सबसे पहले क्यों, सरकार को सिलसिलेवार तरीके से कदम उठाने होंगे.

HC ने कहा है कि सरकार को प्रतिबंध लगाना तो सभी पर क्यों नहीं लगाया. HC ने कहा कि सरकार बिना आधार अधिकार का इस्तेमाल कर रही है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार कैलेंडर को नहीं बदल सकती है, क्योंकि आप सत्ता में हैं इसलिए दो दिनों के लिए बलपूर्वक आस्था पर रोक नहीं लगा सकते हैं. सरकार को हर हालात के लिए तैयार रहना होगा.

वहीं, सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि क्या सरकार को कानून व्यवस्था का अधिकार नहीं है. वकील की ओर से कहा गया है कि अगर कानून व्यवस्था बिगड़ी तो किसकी जिम्मेदारी होगी.

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इससे पहले भी बुधवार को कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने सरकार पर टिप्पणी करते कहा, "आप दो समुदायों के बीच दरार पैदा क्यों कर रहे हैं. दुर्गा पूजन और मुहर्रम को लेकर राज्य में कभी ऐसे स्थिति नहीं बनी है. उन्‍हें साथ रहने दीजिए."

बता दें कि इसके पहले हाईकोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी सरकार को मूर्ति विजर्सन की तय समय सीमा के फैसले को बदलना पड़ा था. राज्य सरकार ने विजयदशमी के दिन विसर्जन की समय सीमा जो पहले 6 बजे तक निर्धारित कर दी गयी थी, उसे बढ़ाकर रात 10 बजे तक कर दिया गया था.

गौरतलब है कि विसर्जन पर पाबंदी को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में ममता बनर्जी के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. दरअसल, याचिका मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 23 अगस्त को किए गए ट्वीट को केंद्र में रखकर किया गया था. जिसमें दशमी के दिन 6 बजे तक ही विसर्जन की इजाजत दी गई थी, क्योंकि अगले दिन मुहर्रम है. लिहाज़ा, विसर्जन पर रोक लगा दी गई  थी और विसर्जन 2 तारीख से किए जाने के आदेश दिए गए थे.

इसको लेकर यूथ बार एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट के लाखों फॉलोवर हैं और ये समुदाय विशेष के तुष्टिकरण के लिए बड़े समुदाय के धार्मिक रस्म रिवाज के साथ ठीक नहीं किया जा रहा है. इससे भावनाएं आहत होने के साथ सद्भाव बिगड़ने की भी आशंका है. साथ ही संविधान की धारा 14, 25 और 26 का उल्लंघन भी है.

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पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर मामला कोर्ट में गया था. कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि ये तुष्टीकरण की नीति है और राजनीति को धर्म से न जोड़े. कोर्ट ने पिछली साल ये भी कहा था कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था तब तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी.

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