
शहर से लेकर गांव तक बारिश ने तबाही मचा रखी है. सड़कों पर जलभराव के चलते न सिर्फ लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उनके वाहनों को भी नुकसान हो रहा है. बारिश के दिनों में वाहनों के इंजन में पानी भर जाता है, जिसके चलते उसमें खराबी आ जाती है. अगर आपकी भी कार या बाइक बारिश के पानी की वजह से खराब हो गई है, तो कंपनी को आपकी कार को मुफ्त में रिपेयर करना होगा. हालांकि इसके लिए यह जरूरी है कि आपकी कार या बाइक अंडर वारंटी हो.
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बारिश को एक्ट ऑफ गॉड यानी प्राकृतिक आपदा बताकर अंडर वारंटी कार या बाइक की रिपेयरिंग करने से इनकार नहीं कर सकती है. उनका कहना है कि बारिश हर साल होती है, यह कोई एक्ट ऑफ गॉड नहीं है. कंपनी सिर्फ एक्ट ऑफ गॉड पर ही अंडर वारंटी वाहन की रिपेयरिंग से इनकार कर सकती है.
अगर कंपनी बारिश में खराब हुई अंडर वारंटी कार या बाइक को मुफ्त में रिपेयर करने से मना करती हैं, तो उनके खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में केस किया जा सकता है. साल 2017 में दिल्ली की एक कंज्यूमर कोर्ट ने ऐसे ही मामले में मारुति सुजुकी पर 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. इस मामले में बलबीर सिंह की कार के इंजन में बारिश का पानी चला गया था, जिसके चलते कार में गड़बड़ी आ गई थी. उस समय उनकी कार वारंटी पीरियड में थी, लेकिन मारुति सुजुकी ने कार को मुफ्त में रिपेयर करने से इनकार कर दिया था. कंपनी का कहना था कि बलबीर सिंह अपनी कार को जलभराव वाले इलाके में लेकर गए और उनकी लापरवाही से गाड़ी में खराबी आई है. लिहाजा वो (कंपनी) इसके लिए जिम्मेदार नहीं है.
इसके बाद बलबीर सिंह ने दिल्ली की कंज्यूमर कोर्ट में मारुति सुजुकी के खिलाफ केस कर दिया था. इसके बाद कंज्यूमर कोर्ट ने कहा कि हर साल बारिश होती है. इसको एक्ट ऑफ गॉड नहीं माना जा सकता है. इसके साथ ही जलभराव वाले इलाके में कार को चलाने को लापरवाही नहीं बताई जा सकती है. कोई व्यक्ति बारिश होने पर रास्ते में कार छोड़कर नहीं आ सकता है. इसके लिए कंपनी को व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि बारिश के मौसम में भी गाड़ी को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे. अगर गाड़ी में बारिश के पानी से नुकसान पहुंचता है, तो मैन्युफैक्टरिंग कंपनी कार को रिपेयर करने से इनकार नहीं कर सकती है. आपको बता दें कि एक्ट ऑफ गॉड के लिए कंपनी की कोई लायबिलिटी नहीं बनती है.
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सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उपेंद्र मिश्रा ने बताया कि अगर किसी की कार या बाइक को बारिश के पानी से नुकसान पहुंचा है और वारंटी खत्म हो गई है, तो वह इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम हासिल कर सकता है. इसके लिए जरूरी है कि उस कार या बाइक की सेफ्टी के लिए इंश्योरेंस कराया गया हो. यदि इंश्योरेंस कंपनियां पैसा देने से मना करती हैं, तो इरडा यानी इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया का रुख किया जा सकता है. इसके अलावा अगर पीड़ित पक्ष इरडा के फैसले से संतुष्ट नहीं है, तो कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.