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मनी लॉन्ड्रिंग में 19 कंपनियों पर केस, 400 करोड़ रुपये विदेश भेजने की CBI करेगी जांच

यह आरोप है कि 2015 में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), मिंट स्ट्रीट शाखा, चेन्नई के अज्ञात अधिकारियों ने 19 आरोपी कंपनियों के साथ साजिश रची. इन कंपनियों का इस बैंक की शाखा में खाता था.

मनी लॉन्ड्रिंग मनी लॉन्ड्रिंग
अंकुर कुमार/BHASHA
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  • 09 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:43 PM IST

सीबीआई ने उन 19 ​कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिन्होंने तकरीबन 700 लेन-देन के जरिये विदेशों में 424 करोड़ रुपये भेजे हैं. जांच एजेंसी को मुखौटा कंपनियों के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग होने का संदेह है.

यह आरोप है कि 2015 में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी), मिंट स्ट्रीट शाखा, चेन्नई के अज्ञात अधिकारियों ने 19 आरोपी कंपनियों के साथ साजिश रची. इन कंपनियों का इस बैंक की शाखा में खाता था.

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इस संबंध में शुक्रवार को दर्ज की गई एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि साजिश के मद्देनजर उपरोक्त कंपनियां बिना किसी सही व्यापारिक लेन-देन के हांगकांग को विदेशी मुद्रा भेज रही थीं.' प्राथमिकी में कहा गया है कि इस प्रकार खोले गए खातों का विदेशों में पैसे  भेजने में इस्तेमाल किया जा रहा था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह तरीका था कि ग्राहकों को आरटीजीएस (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) के जरिये उनके खातों में विभिन्न अन्य बैंकों से पैसे मिले. ग्राहकों ने 100 फीसदी अग्रिम पैसे के लिये विदेशी आपूर्तिकर्ताओं द्वारा जारी दर के साथ अपना अनुरोध पेश किया. यह आरोप लगाया गया कि दर सूची के आधार पर ग्राहक ने विदेशी आपूर्तिकर्ता से भेजी गई रकम के लिये अनुरोध किया. भेजी गई रकम की राशि इस तरह से रखी गई कि यह प्रत्येक भेजी गई रकम के लिए एक लाख डॉलर की सीमा को पार न करे ताकि नियामक जरूरतों का उल्लंघन न हो और वह रेडार पर न आएं. सीबीआई ने कहा कि जनवरी 2015 से मई 2015 के बीच विभिन्न चालू खातों के ​जरिये आयात के लिये 700 लेन-देन के लिये अग्रिम रकम भेजी गई. कुल राशि 424.58 करोड़ रुपये थी.

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सीबीआई ने कहा कि सारी अग्रिम रकम नॉस्ट्रो (पीएनबी का विदेशी बैंक में विदेशी मुद्रा में खाता) खाता के जरिये भेजी गई जिसे एचएसबीसी, न्यूयॉर्क मेंटेन रखता है। बैंक ने पाया था कि कोई भी इकाई दिये गए पते पर काम नहीं कर रही थी। ऐसे में सीबीआई इन कंपनियों की जांच कर सच बाहर लाने की कोशिश कर रही है.

कोऑपरेटिव सोसाइटी से लिंक

इन अकाउंट में ज्यादातर पैसे आरटीजीएस के जरिए मुंबई और दूसरी जगहों के कोऑपरेटिव सोसाइटी की तरफ से आया है. यह कोऑपरेटिव सोसाइटी अडवांस में क्रेडिट देते हैं. आरोप है कि कोऑपरेटिव सोसाइटी में भी फर्जी लोगों के नाम पर अकाउंट खोले गए हैं. यह पैसे साउदी अरब, यूएई और ताईवान भेजे गए. सूत्रों के अनुसार यह साफ है कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का है और इस वजह से 424 करोड़ रुपये से ज्यादा का फॉरेन एक्सचेंज में नुकसान हुआ है.

 

 

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